44 साल बाद पूरी होगी पूर्वाचल के लाखों किसानों की आस

Dec 11 2021

44 साल बाद पूरी होगी पूर्वाचल के लाखों किसानों की आस

लखनऊ । सरयू नहर के जरिये योगी सरकार पूर्वाचल के नौ जिलों (बहराईच, श्रावस्ती, बलरामपुर, गोंडा, सिद्धार्थनगर, बस्ती, संतकबीर नगर, गोरखपुर और महराजगंज) के लाखों किसानों को एक बड़ा उपहार देगी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी आज बलरामपुर में सरयू नहर राष्ट्रीय परियोजना का लोकार्पण करेंगे। खास बात यह है कि यह परियोजना 44 सालों बाद पूरी हो रही है। इसका ज्यादातर काम योगी के कार्यकाल हुआ है। इससे पूर्वाचल के संबंधित जिलों के करीब 50 लाख किसानों को लाभ होगा। भरपूर पानी मिलने और बाढ़ की समस्या का हल होने से जिन क्षेत्रों में एक फसल होती थी वहां दो फसलें होंगी। कुल मिलाकर इस पूरे क्षेत्र के फसल क्षेत्र का कायाकल्प हो जाएगा।

अक्टूबर-2018 में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 500 करोड़ से ऊपर की जिन परियोजनाओं की समीक्षा की थी, उसमें सरयू नहर भी शामिल थी। तब मुख्यमंत्री ने हर सप्ताह काम के प्रगति की निगरानी करने का निर्देश अधिकारियों को दिया था। गत तीन जून को मुख्य सचिव आरके तिवारी की अध्यक्षता में हुई बैठक में भी सरयू नहर को लेकर चर्चा हुई थी।

करीब 14.04 लाख हेक्टेयर रकबे की सिंचाई के साथ ही बाढ़ की समस्या का भी स्थाई समाधान निकलेगा। इसमें घाघरा, सरयू, राप्ती, बाणगंगा और रोहिन नदी पर गिरिजा, सरयू, राप्ती, और वाणगंगा के नाम से बैराज बनाकर इससे मुख्य और सहायक नहरें निकाली गई हैं।

मालूम हो कि वर्ष 1978 में बहराइच और गोंडा जिले में सिंचन क्षमता में विस्तार कर वहां के किसानों के हित के मद्देनजर घाघरा कैनाल (लेफ्ट बैंक) के नाम से यह परियोजना शुरू हुई।

1982-83 में इसका विस्तार पूर्वाचल के ट्रांस घाघरा-राप्ती-रोहिणी क्षेत्र में करते हुए नौ और जिलों को भी इसमें शामिल किया गया। तभी भारत सरकार ने इसका नाम बदलकर सरयू परियोजना रख दिया। तय हुआ कि इसमें घाघरा के साथ राप्ती, रोहिन को भी नहर प्रणाली से जोड़ा जाएगा।

परियोजना की महत्ता एवं उपयोगिता के मद्देनजर केंद्र ने 2012 में इसे राष्ट्रीय परियोजना घोषित कर दिया। इसके तहत पूर्वाचल के नौ जिलों में 14.04 लाख हेक्टेयर रकबे में सिंचन क्षमता का विस्तार कर वहां के लाखों किसानों को लाभान्वित किया जाना है। इस बावत सरयू मुख्य नहर, राप्ती मुख्य नहर एवं गोला पंप कैनाल, डुमरियागंज पंप कैनाल अयोध्या पंप कैनाल एवं उतरौला पंप कैनाल के कुल 6590 किमी लंबाई में नहर प्रणाली का विस्तार किया गया है।

सरयू नहर राष्ट्रीय परियोजना सिंचाई विभाग के साथ-साथ भारत सरकार की महत्वाकांक्षी नदी घाटी जोड़ो परियोजना से भी जुड़ती है। इसके जरिए घाघरा, सरयू, राप्ती, बाण गंगा और रोहिन नदी को भी जोड़ना है। इससे इन जिलों में हर साल आने वाली बाढ़ की समस्या भी काफी हद तक स्थाई हल हो जाएगी।

बहराइच में घाघरा नदी पर निर्मित गिरजापुरी बैराज के बाएं से बैंक से 360 क्यूसेक क्षमता की सरयू योजक नहर (17.035 किमी) निकाली गई है। इससे सरयू नदी पर निर्मित सरयू बैराज के अपस्ट्रीम दाएं किनारे में पानी लाया जाएगा। सरयू बैराज के बाएं बैक से 360 क्यूसेक क्षमता की 63.15 किमी की सरयू नहर निकाली गई है। सरयू मुख्य नहर के किमी 21.4 दाएं बैक से इमामगंज शाखा प्रणाली निकाली गयी है।

सरयू मुख्य नहर के किमी 34.70 के बाएं किनारे से राप्ती योजक नहर 21.4 किमी लम्बाई में निर्मित कराई गई है। यह राप्ती नदी पर निर्मित राप्ती बैराज के अपस्ट्रीम में राप्ती नदी को पानी उपलब्ध कराएगी। इसका उपयोग 125.682 किमी लम्बी राप्ती मुख्य नहर के लिए किया जाएगा। सरयू मुख्य नहर के किमी 63.150 से दो शाखा प्रणाली बस्ती व गोंडा निकाली गई है।

बस्ती शाखा से 4.20 लाख हेक्टेयर एवं गोंडा शाखा से 3.96 लाख हेक्टेयर सिंचाई होगी। राप्ती के मुख्य नहर के टेल से कैम्पियरगंज शाखा राप्ती मुख्य नहर प्रणाली से 3.27 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई सुविधा प्रदान की जाएगी। इसी क्रम में श्रावस्ती में लक्ष्मनपुर कोठी के निकट निर्मित राप्ती बैराज के बाएं तट से राप्ती मुख्य नहर का निर्माण कार्य प्रगति पर है। इसकी कुल लंबाई 125.682 किमी है।

अपर मुख्य सचिव नवनीत सहगल का कहना है कि केन्द्र और राज्य सरकार के लिए किसानों का हित सर्वोपरि रहा है। सरकार ने इसे साबित किया है। 44 साल बाद इस नहर का पूरा होना इस बात का प्रमाण है।