उत्तर प्रदेश में 'आर्टिफिशिल इंटेलिजेंस' व 'मशीन लर्निंग' से लैस होगी चकबंदी प्रक्रिया

Nov 29 2023

उत्तर प्रदेश में 'आर्टिफिशिल इंटेलिजेंस' व 'मशीन लर्निंग' से लैस होगी चकबंदी प्रक्रिया

-सीएम योगी के विजन अनुसार प्रदेश में चकबंदी प्रक्रिया को आधुनिक तकनीक से लैस करने की प्रक्रिया शुरू

-यूपी इलेक्ट्रॉनिक्स कॉर्पोरेशन लिमिटेड द्वारा प्रदेश की भूमि समेकन प्रक्रिया को सरल बनाने के लिए एआई बेस्ड एंटरप्राइज रिसोर्स प्लानिंग (ईआरपी) सॉफ्टवेयर पर हो रहा काम

-सैटेलाइट इमेज एक्सेस, रोवर सर्वे, डीजीपीएस, नाविक, ब्लॉकचेन डाटा एक्सेस व मशीन लर्निंग बेस्ड आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसी एडवांस्ड टेक्नोलॉजी से युक्त होगा सॉफ्टवेयर

-इस विशिष्ट सॉफ्टवेयर के डिजाइन, निर्माण, विकास व क्रियान्वयन के लिए टेक्निकल सर्विस प्रोवाइडिंग (टीएसपी) एजेंसी की नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू

लखनऊ, 29 नवंबर। उत्तर प्रदेश की उन्नति के लिए आधुनिक तकनीक को जरिया बनाकर कार्य कर रही योगी सरकार अब प्रदेश में चकबंदी प्रक्रियाओं को सरल, सुलभ और अत्याधुनिक बनाने की दिशा में बड़ा कदम उठाने जा रही है। योगी सरकार ने प्रदेश में भूमि समेकन समेत चकबंदी की तमाम प्रक्रियाओं को मशीन लर्निंग (एमएल) युक्त आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) जैसी एडवांस्ड टेक्नोलॉजी बेस्ड सॉफ्टवेयर के जरिए क्रियान्वित करने की तैयारी कर ली है। इस क्रम में, यूपी इलेक्ट्रॉनिक्स कॉर्पोरेशन लिमिटेड द्वारा एआई बेस्ड एंटरप्राइज रिसोर्स प्लानिंग (ईआरपी) सॉफ्टवेयर के निर्माण व क्रियान्वयन की प्रक्रिया जारी है। इस विशिष्ट सॉफ्टवेयर के डिजाइन, निर्माण, विकास व क्रियान्वयन के लिए टेक्निकल सर्विस प्रोवाइडिंग (टीएसपी) एजेंसी की नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है तथा ई-निविदा के जरिए आवेदन मांगे गए हैं। उल्लेखनीय है कि टेक्निकल सर्विस प्रोवाइडिंग एजेंसी द्वारा चकबंदी से जुड़ी प्रक्रियाओं के सरलीकरण के लिए जिस सॉफ्टवेयर का निर्माण किया जा रहा है वह सैटेलाइट इमेज एक्सेस, रोवर सर्वे, डीजीपीएस, नाविक, ब्लॉकचेन डाटा एक्सेस जैसी नेकस्ट जेनरेशन टेक्नॉलोजी से लैस होगा। इसके लागू होने से चकबंदी प्रक्रिया के ऑटोमेशन, डिजिटाइजेशन तथा वाद निस्तारण समेत तमाम कार्यों की पूर्ति त्रुटिरहित व सरल तरीके से हो सकेगी।

डाटा संकलन समेत रियल टाइम प्रॉब्लम सॉल्विंग तकनीक से होगा लैस
इस विशिष्ट सॉफ्टवेयर में डाटा संकलन के साथ ही समस्या के निस्तारण के लिए रियल टाइम एक्सेस जैसी सुविधाएं होंगी जिससे प्रॉब्लम सॉल्विंग एबिलिटीज में काफी सुधार होगा। उल्लेखनीय है कि अभी किसी एक गांव में भूमि समेकन की प्रक्रिया पूरी करने में 100 से 1300 दिन लग जाते हैं, वहीं सॉफ्टवेयर के क्रियान्वयन के उपरांत इस प्रक्रिया को मैप व डिजिटाइज्ड रिकॉर्ड्स के एसेसमेंट के जरिए काफी कम समय में पूरा किया जा सकेगा। इसी तरह, चक के एक्सचेंज रेशियो कैल्कुलेशन, एक्सचेंज रेट पैरामीटर इवैल्युएशन तथा वेक्टर मैप पर चक के उकेरे जाने जैसी प्रक्रियाओं को इस सॉफ्टवेयर के जरिया पूरा किया जा सकेगा।

सैटेलाइट इमेजिंग व रोवर सर्वे पूर्ण करने में होगा सक्षम
टेक्निकल सर्विस प्रोवाइडिंग एजेंसी द्वारा जिस सॉफ्टवेयर का निर्माण किया जा रहा है वह सैटेलाइट इमेजिंग बेस्ड होगा तथा इससे रोवर सर्वे को मैनुअली करने के बजाए डाटा इवैल्युएशन के जरिए बेहद कम समय में सटीकता के साथ पूर्ण किया जा सकेगा। इसके अतिरिक्त, सॉफ्टवेयर डाटा इंटिग्रेशन प्लॉटफॉर्म की तरह कार्य करते हुए पहले से उपलब्ध आंकड़ों, मैप्स, सैटेलाइट इमेज तथा नवीन रोवर सर्वे से प्राप्त डाटा के समायोजन तथा मूल्यांकन में भी सहायक सिद्ध होगा। यह चकबंदी एक्ट्स की एनालिसिस करके एल्गोरिदम बनाने में भी सक्षम होगा तथा खतौनी को ब्लॉकचेन बेस्ड सिस्टम पर ले जाने में सक्षम होगा। इसके अलावा, सॉफ्टवेयर को डाटा सिक्योरिटी, एडवांस्ड ट्रेनिंग, रिपोर्टिंग एंड एनालिटिक्स, मॉनिटरिंग व ऑडिटिंग मैकेनिज्म तथा टेक्निकल सपोर्ट व मेंटिनेंस जैसी खूबियों से लैस होगा। इस सॉफ्टवेयर के क्रियान्वयन से कई प्रकार के फायदे होंगे जिसमें प्रिसाइज डाटा कलेक्शन, ट्रांसपेरेंट लैंड रिकॉर्ड्स, सेमी ऑटोमैटिक कंसोलिडेशन, इनहैंस्ड लैंड राइट्स प्रोटेक्शन, अकाउंटेबिलिटी, कॉस्ट एफिशिएंसी समेत लीगल केसेस में कटौती लाने में मदद मिलेगी। इसके साथ ही, फाइनलाइज्ड खसरा, खतौनी व मैप्स को चकबंदी के जीआईएस बेस्ड पोर्टल पर डिजिटाइजेशन प्रक्रिया के जरिए अपलोड करने में भी मदद मिलेगी।