दिल्ली समेत कई राज्यों में कोयले की कमी से बिजली का संकट, हलांकि केन्द्रीय उर्जा मंत्री ने कहा बिजली का कोई संकट नही

Oct 11 2021

दिल्ली समेत कई राज्यों में कोयले की कमी से बिजली का संकट, हलांकि केन्द्रीय उर्जा मंत्री ने कहा बिजली का कोई संकट नही

india emotions, लखनऊ। उत्तर प्रदेश,दिल्ली समेत कई राज्यों में कोयला की कमी से बिजली का संकट आ सकता है। उत्तर प्रदेश समेत कई राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने इस संकट के लिए केन्द सरकार को पत्र लिखा है। उतर प्रदेश के ग्रामीण इलाकों में बिजली का संकट शुरूआत हो गयी है। ग्रामीण इलाकों में बिजली की कटौती शूरू हो चुकी है।

एनटीपीसी परियोजना ऊंचाहार में कोयले का संकट गहराता जा रहा है। कोयले की कमी से रविवार को एक और यूनिट को बंद कर दिया गया है। चार दिन पहले छह नंबर यूनिट को बंद हो चुकी थी। हालांकि केन्द्रीय ऊर्जा मंत्री ने कहा है,कि कोयले का भंडार प्रर्याप्त मात्रा में है। बिजली की समस्या नही आ पाएगी।

मिली जानकारी के मुताबिक उत्तर प्रदेश में बिजली का भारी संकट आने वाला है। प्रदेश में बिजली की मांग के मुकाबले उपलब्धता कम होने की वजह से गांवों, तहसील मुख्यालयों के साथ-साथ अब शहरों में भी बिजली कटौती शुरू हो गई है। स्थिति यह है कि हरदुआगंज में मात्र एक दिन का कोयला बचा है। पारीक्षा विद्युत संयंत्र में एक दिन से भी कम का कोयला शेष बचा है। यदि कल तक कोयले की आपूर्ति नहीं हो पाई, तो ये दोनों संयंत्र भी बंद हो सकते हैं। इस समय बिजली घरों में कोयले के घटते भंडार के कारण बिजली कटौती से हो रही है। आलम यह है कि अब नगर मुख्यालयों में डेढ़ से चार घंटे की कटौती शुरू हो गई है। यह अघोषित रूप से कटौती की जा रही है। अब हालात और विकट होने वाले हैं।

राज्य विद्युत उत्पादन निगम के अधिकारियों का कहना है कि हरदुआगंज व पारीछा में कोयले का स्टॉक करीबन समाप्त हो चुका है। हरदुआगंज में 8000, पारीछा में 15000, अनपरा में 40,000 तथा ओबरा में 16000 मीट्रिक टन कोयले की आवश्यकता है। इस समय स्थिति यह है कि हरदुआगंज में मात्र एक दिन और पारीक्षा में एक दिन से भी कम, करीब पौन दिन का कोयला शेष बचा है। अनपरा में दो दिन और ओबरा में ढाई दिन का कोयला शेष बचा है। बताया यह जा रहा है कि हरदुआगंज और ओबरा में तो चार-चार रैकों की व्यवस्था की जा रही है।लेकिन अनपरा और ओबरा में इस तरह कोई इंतजाम अभी नहीं किया जा रहा है।

एनटीपीसी परियोजना ऊंचाहार में पांच यूनिटें 210 मेगावाट, जबकि छह नंबर यूनिट 500 मेगावाट बिजली उत्पादन करती है। पिछले माह से मांग के सापेक्ष कोयले की आपूर्ति नहीं हो पा रही है, जिसकी वजह से गुरुवार को परियोजना की सबसे ज्यादा 500 मेगावाट बिजली उत्पादन करने वाली यूनिट नंबर छह को बंद कर दिया गया था। परियोजना की 210 मेगावाट बिजली उत्पादन की क्षमता वाली यूनिट नंबर शनिवार की रात 12 बजे बंद कर दी गई। कोयले की आपूर्ति न होने से परियोजना की सभी यूनिटों के बंद होने का खतरा मंडरा रहा है। यदि ऐसा होता है तो आपूर्ति वाले राज्यों में बिजली का संकट और गहरा जाएगा।

गांवों में स्थिति यह हो गई है कि, पहले 18 घंटे के बजाय अब करीब 11 घंटे, तहसीलों को 21.30 घंटे के बजाय करीब 17 घंटे और बुंदेलखंड को 20 घंटे के बजाय करीब 14 घंटे ही आपूर्ति हो पा रही है। अब शहरों में अघोषित तौर पर कटौती शुरू हो गई है। डेढ़ से साढ़े चार घंटे तक की कटौती शहरों में शुरू हो गई है। कहीं कहीं अघोषित तौर पर इससे ज्यादा कटौती की जा रही है।

उत्तर प्रदेश पाॅवर कॉरपोरेशन अध्यक्ष एम. देवराज ने आंदोलनरत अभियंताओं, अवर अभियंताओं एवं अन्य कर्मचारी संगठनों से अपील की है,कि वे आंदोलन समाप्त करें। कोयले की समस्या एक नई चुनौती बनकर खड़ी हो गई है। इस समय प्रमुख त्योहारों का सीजन भी है। ऐसे में प्रदेश, विद्युत उपभोक्ता एवं विभागीय हित में आंदोलन समाप्त कर वार्ता के माध्यम से समस्याओं का हल निकालने का प्रयास होना चाहिए। उन्होंने कहा है कि कोरोना महामारी आदि कारणों से कॉरपोरेशन की वित्तीय स्थिति प्रभावित है।

कारपोरेशन का 90 हजार करोड रुपये तक का घाटा पहुंच गया है। ऐसी परिस्थितियों में कॅारपोरेशन कर्मचारियों के वेतन को बढ़ाकर अतिरिक्त आर्थिक बोझ को सहने की स्थिति में नहीं है। आंदोलन से कॉरपोरेशन की वित्तीय स्थिति और विद्युत आपूर्ति दोनों प्रभावित हो सकते हैं । यह प्रदेश, विद्युत उपभोक्ता और कॉरपोरेशन के लिए हितकारी नहीं है। देश में इस संकट के लिए कई मुख्यमंत्रियों ने केन्द सरकार को पत्र लिख चुके हैं।