अयोध्या केस : सुप्रीम कोर्ट में रामलला के वकील ने राम मंदिर को लेकर दी ये दलीलें

Aug 08 2019

अयोध्या केस : सुप्रीम कोर्ट में रामलला के वकील ने राम मंदिर को लेकर दी ये दलीलें

इंडिया इमोशंस न्यूज अयोध्या/ नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद (Ram Janmabhoomi-Babri Masjid dispute )में रोजाना सुनवाई चल रही है। पहले हफ्ते की सुनवाई के आखिरी दिन पक्षकार रामलला विराजमान की तरफ से पक्ष रखा। इस मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई के अलावा जस्टिस एसए बोबडे, जस्टिस धनंज वाई चंद्रचूड़, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस एस. अब्दुल नजीर वाली पांच सदस्यों वाली संवैधानिक पीठ कर रही है।
रामलला विराजमान के वकील के. परासरन ने कहा कि जन्मस्थान की सटीक जगह नहीं है, लेकिन इसका मतलब आसपास के इलाकों से भी हो सकता है। पूरा क्षेत्र ही जन्मस्थान है। कोई विवाद नहीं है कि यह भगवान राम का जन्मस्थान है। हिंदू और मुस्लिम दोनों पक्ष विवादित क्षेत्र को जन्मस्थान कहते हैं।

रामलला विराजमान के वकील के. परासरन ने कहा कि 'जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी'... जन्मभूमि बहुत महत्वपूर्ण होती है। राम जन्मस्थान का मतलब एक ऐसा स्थान जहां, सभी की आस्था और विश्वास है। उन्होेंने आगे कहा कि जब हम ढांचे की बात करते हैं तो हम पूरी जगह के बारे में बात करते हैं, पूरी जगह राम जन्मस्थान है, यह एक अभिन्न अंग है इसको अलग नही किया जा सकता।

रामलला के वकील के परासरन ने कहा कि यह एक सवाल है जिसे तय करने की जरूरत है। परासरन ने आगे जस्टिस बोब्ड उत्तराखंड हाई कोर्ट के फैसले का जिक्र करते हुए कहा कि जिन्होंने नदी को जीवित व्यक्ति बताते हुए अधिकार दिया था।

रामलला के वकील परासरन ने कहा कि हां, रामजन्मभूमि व्यक्ति हो सकता है और रामलला भी, क्योंकि वो एक मूर्ति नहीं, बल्कि एक देवता हैं, हम उन्हें सजीव मानते हैं। देवता की उपस्थिति एक न्यायिक व्यक्ति होने के परीक्षण की कसौटी नहीं, नदियों की भी पूजा की जाती है। ऋग्वेद के अनुसार सूर्य की मूर्ति नहीं है, लेकिन वह सर्वकालिक देवता हैं इसलिए सूर्य एक न्यायिक व्यक्ति हैं।