अल्मोड़ा के कौसानी के बारे में इन रहस्यमयी बातों को जानकर आप भी चौंक जाएंगे, पढिय़े ...

Nov 06 2020

अल्मोड़ा के कौसानी के बारे में इन रहस्यमयी बातों को जानकर आप भी चौंक जाएंगे, पढिय़े ...
भारत के स्विटजरलैंड में ऐसा सुकूं मिला कि गांधी जी 14 दिन ठहर गए

निष्ठा मिश्रा, India Emotions, लखनऊ. राजधानी लखनऊ से करीब पांच सौ किलोमीटर मीटर दूर अल्मोड़ा जिले में पर्वतीय पर्यटन स्थल कौसानी है। आरावली की पहाड़ियों को पार कर कौसानी तक पहुंचते हैं। यह भारत का एक पर्वतीय पर्यटक स्थल दर्शनीय है। ये स्थान हिमालय की सुन्दरता के दर्शन कराता पिंग्नाथ चोटी पर बसा हुआ है। यहां से बर्फ से ढकी “नंदा देवी पर्वत”की चोटी का नज़ारा बड़ा अत्यधिक मनमोहक प्रतीत होता है।

सन् 1928 में राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी ने कौसानी स्थित कोसी नदी 14 दिन ठहरे थे और उन्होंने इस स्थान को भारत का स्विजरलैंड कहा था। कौसानी समुन्द्र तल से लगभग 6075 फीट की ऊँचाई पर बसा एक खूबसूरत पर्वतीय पर्यटक स्थल है। यह पर्वतीय शहर चिड के घने पेड़ो के बीच एक पहाड़ी की चोटी पर स्थित है एवं इस स्थान से सोमेश्वर,गरुड़ आदि सुंदर घाटियों का अद्भुत नज़ारा देखने को मिलता है। इस स्थान में एक चाय का बागान भी है, जो की कौसानी से करीब 6 किलोमीटर की दुरी पर बैजनाथ की तरफ है।

इस क्षेत्र की चाय बहुत ही खुशबूदार और स्वादिष्ट होती है। कौसानी का इतिहास बड़ा ही रोचक है। बताया जाता है,कि इतिहास के पीछे भी एक कथा है। बागेश्वर स्थित पर्यटन स्थल कौसानी के बारे में यह कहा जाता है कि इस स्थान पर कौशिक मुनि ने कठोर तप किया था इसलिए इस स्थान का नाम “कौसानी” रखा गया है।

कौसानी क्षेत्र में दो प्रमुख ऐतिहासिक घटनाऐ हुई जो कि वर्तमान समय में भी याद की जाती है। सर्वप्रथम प्रसिद्ध भारतीय कवि सुमित्रानंदन पन्त, जो की सन 1900 में कौसानी में पैदा हुए थे और महात्मा गांधी- जो कि अनासक्ति योग पर अपना कार्य पूरा करने के लिए 14 दिनों तक कौसानी में रूके थे।


तब महात्मा गाँधी जी ने कौसानी को ” भारत का स्विट्ज़रलैंड “ नाम की उपाधि दी थी एवम् उन्होंने “यंग इंडिया” पुस्तक में कौसानी की आलोकिक सौंदर्य और कुमाउं की पहाडियों के बारे में जानकारी देकर कौसानी को पुरे विश्व में प्रसिद्ध कर दिया था। कौसानी क्षेत्र के बारे में एक कम जानने वाली बात यह है कि कौसानी को “वलना” नाम से भी जाना जाता था, जो कि कत्युरी वंश द्वारा शासित राज्य का एक हिस्सा था, जिसमे इसकी राजधानी कर्तिकेयापुरा थी।

उस समय अल्मोड़ा ज़िला कत्यूरी के राजा बैचलदेव के क्षेत्राधिकार में आता था। उसके बाद में राजा ने इसका काफ़ी बड़ा हिस्सा गुजरात के एक ब्राह्मण श्री चंद तिवारी को दे दिया। इस स्थल पर भारत व दुनिया भर से हजारों लोगों हर साल आते हैं।