कोरोना का ग्रहण विश्व होमियोपैथी दिवस पर, समारोह निरस्त

Apr 09 2020

कोरोना का ग्रहण विश्व होमियोपैथी दिवस पर, समारोह निरस्त

india emotions news network, Noida. होम्योपैथिक चिकित्सा पद्धति के आविष्कारक डॉ हैनिमैन की जयंती 10 अप्रैल पूरे विश्व में विश्व होमियोपैथी दिवस के रूप में समारोह पूर्वक मनाई जाती रही है तथा इस अवसर पर भव्य समारोहों का आयोजन सरकार, संस्थाओं एवं चिकित्सकों द्वारा किया जाता रहा है परंतु इस वर्ष भारत सहित दुनिया के अनेक देश कोरोना वायरस के संक्रमण की वैश्विक महामारी के संकट से पीड़ित हैं इसलिए इस अवसर पर होने वाले समारोह निरस्त कर दिये गये हैं।

यह जानकारी केंद्रीय होमियोपैथी परिषद के पूर्व सदस्य डॉ अनुरूद्ध वर्मा ने दी है. उन्होने कहा कि देश एवं प्रदेश में लॉक डाउन लागू है लोगों के एक साथ एकत्र होने पर रोक है, घर मेँ रहने तथा सामाजिक दूरी बनाये रखने के दिशा निर्देश हैं ऐसी स्थिति में इस अवसर पर किसी प्रकार का आयोजन किया जाना उचित नहीं है. इसलिए राजधानी में इस अवसर पर कोई कार्यक्रम आयोजित नहीं हो रहा है।

उन्होंने कहा कि कोरोना के संकट से निपटने के लिए सरकारी दिशा निर्देशों का पालन किया जाना आवश्यक है। उन्होंने होम्योपैथिक चिकित्सकों से विश्व होमियोपैथी दिवस के अवसर पर अपनी क्लीनिक्स, चिकित्सालय, निवास पर डॉ हैनिमैन के चित्र पर माल्यार्पण कर श्रद्धाजंलि अर्पित कर उनके आदर्शों पर चलने एवं होमियोपैथी को प्रथम पंक्ति की चिकित्सा पद्धति के रूप मे स्थापित करने का संकल्प लेने तथा होमियोपैथी के विकास के लिए मनन एवं चिंतन करने की अपील की है ।

उन्होंने अपील में यह भी वकहा है कि इस अवसर परआपसी विचार विमर्श, ज्ञान एवं अनुभव के आदान प्रदान, नवीनतम अनुशंधान,एवम विकास की जानकारी प्राप्त करने के लिए वीडियो कॉन्फ़्रेंसिंग, वेबिनार आदि आधुनिक संचार साधनों का प्रयोग किया जाना उचित होगा।

उन्होंने आशा वयक्त की है कि होम्योपैथिक चिकित्सक विश्व होमियोपैथी दिवस को सादे तरीके से मना कर डॉ हैनिमैन को श्रद्धांजलि अर्पित करेंगे। उन्होंने कहा कि होमियोपैथी दुनिया के लगभग 100 देशों में अपनाई जा रही है तथा भारत मे दूसरे नंबर पर अपनाई जाने वाली पद्धाति है जो 80 प्रतिशत स्वास्थ्य समस्याओं के समाधान में सक्षम है।उन्होंने बताया कि सरल, सुलभ, कमख़र्चीली एवं दुष्परिणाम रहित होमियोपैथी रोगों के उपचार के साथ उनसे बचाव का कारगर माध्यम है तथा भारत जैसे देश के लिए उपयुक्त पद्धति है। उन्होंने बताया कि डॉ हैनिमैन का जन्म 10 अप्रैल 1755 को जर्मनी में हुआ था।