रिश्ते में फंगस का काम करती है कहा-सुनी, धैर्य-सहनशील होना चाहिए पतियों को

Nov 09 2021

रिश्ते में फंगस का काम करती है कहा-सुनी, धैर्य-सहनशील होना चाहिए पतियों को

वर्तमान हालातों में हमें आए दिन अपने नाते-रिश्तेदारों से यह सुनने को मिलता है कि आज हमारे परिवार में बहू-बेटे में कहा-सुनी हो गई। जिसके बाद दोनों ने दिन भर आपस में बातचीत नहीं की। सुनने में यह आम जुमला लगता है लेकिन इसकी गहराई में जाएं तो पाएंगे यह भविष्य में घटने वाली किसी बड़ी बात का संकेत है। आज का युवा अपनी जिन्दगी को तनाव और परेशानियों के बीच गुजारता है। ऐसे में जब उसे घर पर भी तनाव का माहौल मिलता है तो वह अपना आपा खो देता है। यह बात सिर्फ उन पुरुषों पर ही लागू नहीं होती है जो घर-परिवार चलाने के लिए दिन-रात मेहनत-मजदूरी करता वरन उन महिलाओं पर भी लागू होती है जो अपने परिवार का भविष्य संवारने के लिए अपने पति के साथ कंधे-से-कंधा मिलाकर चलती हैं। भौतिक सुख-सुविधाओं को पाने के चक्कर में वह उन बातों को भी गम्भीरता से लेने लगता है जिनका कोई मतलब नहीं होता है।

कुछ माह पूर्व ऐसा ही एक किस्सा मुझे मेरे ससुराल में देखने को मिला। मेरे साले साहब की बेटी का छह माह पूर्व ही विवाह हुआ। उसने अपनी मर्जी से अन्तर्जातीय विवाह किया। शादी से पूर्व परिवार के सभी सदस्यों ने उसे समझाने का प्रयास किया था कि यह रिश्ता बहुत मुश्किलें पैदा करेगा। कारण हमारे रीति रिवाज, परम्पराएँ, खान-पान सब कुछ उस परिवार से पूरी तरह से अलग था। परिवार वालों ने शादी कर दी और सात माह बीतते-बीतते बेटी अपने पिता के घर वापस आ गई। उसके ससुराल में बातचीत करने पर पता चला कि लडक़ा और लडक़ी आपस में कभी एक विचार के नहीं होते थे। दोनों अलग-अलग दिशाओं में जाते जिसके चलते यह हुआ।
दोनों के मध्य छोटी-छोटी बातों को लेकर झगड़ा होने लगा। दोनों एक दूसरे पर आक्षेप लगाने लगे कि तुम पहले भी ऐसी थी और अब शादी के बाद भी ऐसी ही हो या तुम पहले भी ऐसे ही थे और शादी के बाद भी ऐसे ही हो। छोटी सी कहा सुनी कई बार रिश्ते में दूरियां भी पैदा कर देती है जिसे समझदारी के साथ हल किया जा सकता है। अगर दोनों ही अपनी अकड़ में रहेंगे तो रिश्ते में दूरियां बढऩे लगेगी। ऐसे में एक का शांत रहना बहुत जरूरी है। कुछ खास बातों का ध्यान रखकर आप अपने साथी के साथ मजबूती का रिश्ता कायम कर सकते हैं।

समर्पण की भावना के साथ मजबूत बनाए रिश्ता
प्यार के साथ-साथ दोनों को एक दूसरे की भावनाओं की कद्र करनी चाहिए। जब आप समर्पण के भाव से रिश्ता कायम करेंगे तो किसी तरह की नजरअंदाजी भी आपके रिश्ते में प्यार को बनाए रखेगी। जिससे जिंदगी खुशहाल बनी रहेगी।
विपरीत हालात में भी न छोड़ें हंसी का दामन
कभी एक-दूसरे के साथ गुस्सा हो भी जाए तो अपनी हंसी को खुद से दूर न करें। हंसी वो ताकत है जिससे तनाव की दीवार गिर जाती है और वैवाहिक जीवन खुशहाल रहता है। वैसे भी बुर्जुगों का कहना है कि परिस्थिति कैसी भी यदि उसका हंस कर मुकाबला करोगे तो हमेशा जीतोगे। कहने का तात्पर्य यह है कि आपसी रिश्तों में हंसी हमेशा मिठास घोलने का काम करती है।
किसी के सामने न करें झगड़ा
पति-पत्नी के आपसी झगड़े के बीच किसी तीसरे का बोलना अच्छा नहीं होता। साथ ही पति-पत्नी को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि वे दूसरों के सामने ऐसी कोई बात नहीं करें जिससे रिश्ते में तनाव पैदा हो। आपसी झगड़ा अगर किसी पराए के सामने आएगा तो कम होने की बजाए दूरियां ज्यादा बढऩे लगेगी।

बच्चों को लेकर आपस में न करें झगड़ा
कई बार देखा जाता है कि पति-पत्नी बच्चों को लेकर आपस में उलझ जाते हैं। बच्चा यदि कोई गलती करता है और उसकी गलती पर दोनों में से कोई उसे मारता है तो उस बात को लेकर आप अपने साथी से तनाव मोल न लें। पहले बच्चे को गलती करने पर प्यार से समझाइए। देखने में आता है कि कई पेरेंट्स समझाने के नाम पर बच्चों की पिटाई कर देते हैं जो कि किसी भी तरह से सही नहीं है। इसका बच्चों पर नकारात्मक असर पड़ता है। बच्चों के साथ-साथ आपकी इस हरकत का आपके साथी पर भी नकारात्मक असर होता है। ऐसे में आपको चाहिए कि आप अकेले में बच्चे को पीटने की बात पर अपने साथी से बात करें और कहें कि आगे से वो इस बात का ध्यान रखेगा कि बच्चे को मारा नहीं जाएं। अक्सर माएँ अपने बच्चों के चलते ही अपने पतियों से नाराज होती हैं।
नाराजगी का कारण पूछें
आपसी कहा-सुनी के चलते कुछ देर तक आपस में बातचीत न करना सही है। लेकिन यही क्रम यदि लम्बे समय तक चलता है तो रिश्ता टूटने के कगार पर आ जाता है। ऐसे में आप दोनों में किसी भी एक व्यक्ति को आगे बढक़र शांत दिमाग से अपने साथी से बात करनी चाहिए और नाराजगी का कारण जानना चाहिए।
यदि आप अपने रिश्ते को सफलतापूर्वक चलाना चाहते हैं तो आप (पुरुषों) को सहनशील और धैर्यवान होना चाहिए। वैसे भी कहा जाता है कि महिलाएं पुरुषों से ज्यादा सहनशील और धैर्यवान होती हैं। वे रिश्ते को तभी खत्म करने की स्थिति में आती हैं जब उनके बस में कुछ नहीं रहता है।

नोट—यह लेखक के अपने विचार हैं जरूरी नहीं कि आप इससे सहमत हों।