मनमुटाव होने पर बातचीत बंद न करें और न अलग बिस्तर पर सोंये

Nov 03 2021

मनमुटाव होने पर बातचीत बंद न करें और न अलग बिस्तर पर सोंये

21वीं सदी का युवा अब वो नहीं रहा जो कभी 20वीं सदी तक दिखाई देता था। बात चाहे लडक़े की हो या लडक़ी की, दोनों में बहुत परिवर्तन आ चुका है। आज का युवा जोश और उमंग से भरा है। वह जिन्दगी को अपने तरीके से जीना चाहता है और खुशहाल रहना चाहता है। लेकिन समस्या तब आती है जब उसकी शादी हो जाती है। शादी के बाद न सिर्फ घर-परिवार का माहौल बदल जाता है अपितु युवाओं पर जिम्मेदारी आ जाती है। शादी के बाद सबसे बड़ा बदलाव जो आता है वो है आपस में सामंजस्य बैठाने का। लडक़ा हो या लडक़ी दोनों को कमोबेश इसी स्थिति से गुजरना पड़ता है। दोनों को अपने दाम्पत्य जीवन को सही चलाने के लिए अपने-आपको को बदलना पड़ता है। बदलाव न सिर्फ आदतों, विचारों में करना पड़ता है अपितु अपने स्वभाव में भी उन्हें बदलाव करना पड़ता है। हालांकि ऐसा बहुत कम देखने को मिलता है जहाँ यह सभी चीजें समय रहते हो पाती हों। स्वभाव के चलते रिश्ते में दरार आना शुरू हो जाती है। यह दरार इतनी बढ़ जाती है कि रिश्ता टूटने के कगार पर आ जाता है। ऐसे में जरूरी है कि समय रहते समझदारी से काम लिया जाए और ताल-मेल बैठाते हुए रिश्ते को संभाला जाए।
आइए डालते हैं एक नजर उन कारणों पर जिनकी वजह से यह रिश्ता टूटने की सम्भावना बनती है—

एक-दूसरे को समान न समझना
रिश्ते में दरार आने का सबसे पहला कारण स्वयं को दूसरे से बड़ा समझना और दूसरे को महत्त्व न देना होता है। इससे रिश्ते में तनाव आने लगता है। बड़ा समझने का अधिकांशत: कारण कमाई को लेकर होता है। यदि पति पत्नी दोनों नौकरीपेशा हैं तो ऐसे हालात जल्दी पैदा होते हैं। इसकी वजह होती है कमाई। यदि पति की कमाई ज्यादा है तो वह पत्नी को अपने कमतर आंकने लगता है और यदि पत्नी की कमाई ज्यादा है तो वह पति को कम महत्त्व देने लगती है। ऐसा करने से मनमुटाव व वैचारिक मतभेद ज्यादा होने लगते हैं। यदि रिश्ते को मजबूती देना चाहते हैं तो कमाई को विचारों से दूर रखें।
मनमुटाव होने पर किसी अन्य को माध्यम बनाना
पति-पत्नी के बीच असहमति होना एक आम बात है। इससे रिश्ते में मजबूती आती है। आपसी विचार खुलकर सामने आते हैं। यदि आपके रिश्ते में कहीं कोई कमजोर आ रही है तो इसे सुधारने के लिए किसी तीसरे को अपने बीच में न लाएं। इससे रिश्तों में जल्दी दरार आती है। खुद उस मामले को सुलझाने की कोशिश करें। किसी अन्य को माध्यम बनाने से हो सकता है आपका जीवनसाथी ज्यादा नाराज हो जाए। ऐसे हालात में अपने बीच की बात किसी को भी ना बताएं। वरना इससे आपके रिश्ते की डोर कमजोर हो सकती है। जो भी निर्णय है या जो भी मसला है उसे आपस में सुलझाने की कोशिश करें। साथ ही एक दूसरे से बातचीत बंद ना करें।
बातचीत बंद न करें और एक ही बिस्तर पर सोंये
बुर्जुगों का कहना है कि चाहे कितना भी मनमुटाव हो जाए आपसी बातचीत को कभी बंद नहीं करना चाहिए। साथ ही मनमुटाव होने पर भी कभी अलग-अलग बिस्तर पर नहीं सोना चाहिए। अक्सर देखा जाता है कि पति-पत्नी में मनमुटाव होता है तो वे दोनों एक साथ एक ही बिस्तर पर नहीं सोते हैं। कई बार यह भी देखा जाता है जिस बात पर दोनों के मध्य मनमुटाव आया उसका समाधान बिस्तर पर एक साथ सोते हुए आसानी से निकल जाता है। इसका विशेष कारण यह है कि वो समय ऐसा होता है जहाँ इंसान पूरी तरह से सिर्फ मतभेद वाली बात पर सोचता है। सोचते हुए उसे अपनी या अपने साथी की कमी का अहसास होता है और मामला तुरन्त सुलझने की आशा हो जाती है। एक दूसरे से बातचीत बंद कर देने से दिक्कत और बढ़ सकती है। हो सकता है कि किसी बात पर दोनों के विचार एक दूसरे से मेल नहीं खा रहे हों, बातचीत बंद नहीं करनी चाहिए। इससे परिस्थिति और खराब हो सकती है और रिश्ता कमजोर हो सकता है।

अपने साथी के स्वभाव को बदलने का प्रयास न करें
दांपत्य जीवन में एक दूसरे से प्यार करने के साथ-साथ उसकी इज्जत करना भी बेहद जरूरी है। आपके साथी का स्वभाव अलग है या उसके कुछ फैसले आपको पसंद नहीं हैं तो उसका मतलब यह बिल्कुल नहीं है कि आप अपने साथी के स्वभाव को बदलें। इससे यह संदेश जाता है कि आप अपने साथी से प्रेम नहीं करते हैं और आपको उनके साथ रहते हुए शर्मिंदगी होती है। इस तरह के हालातों में अपने साथी के स्वभाव को बदलने के बजाय उसे अपनी परेशानी के बारे में बताएं और एक दूसरे से बातचीत करें।
खुला रखें बीच का रास्ता
अगर आपकी अपने साथी के साथ मसलों पर सहमति नहीं होती है तो ऐसे में लड़ाई करने के बजाए कोई ऐसा रास्ता निकालें, जिससे आपका और आपके साथी की बात का मान रह जाए।
निजता का रखें ध्यान
हरके की अपनी पसंद अपनी इच्छा होती है। कभी-भी अपने साथी पर अपनी पसन्द या इच्छा थोपने का प्रयास न करें। यदि वह आपके किसी फैसले पर सहमत नहीं है तो उससे जिद्द करने के बजाय आप उसे थोड़ा सा समय और सोचने का मौका भी दें। हो सकता है कि ऐसा करने से आपका साथी आपकी बात पर सहमति प्रकट करे और अगर ना भी सहमत हो तो हो सकता है कि सोचने से कोई और रास्ता निकल जाए।