अवसाद के लक्षण नजर आने पर करें यह उपाय, बीमारी से रहेंगे दूर

Oct 05 2021

अवसाद के लक्षण नजर आने पर करें यह उपाय, बीमारी से रहेंगे दूर

कुछ दिन हुए जब मुझे जानकारी मिली कि आनन्द की पत्नी को मेंटल हॉस्पिटल में उपचार के लिए भर्ती किया गया है। एक कामकाजी महिला के बारे में यह सुनकर बड़ा अफसोस हुआ। पता चला कि वह लम्बे समय से अवसाद से जूझ रही थी। उनका इलाज चल रहा था, लेकिन वह उतना कामयाब नहीं हो पाया जिसके चलते आखिर में उन्हें हॉस्पिटलाइज करवाया गया। अवसाद में जाने का एक ही कारण होता है कि हम अपने बारे में बिलकुल नहीं सोचते हैं। मशीनी अंदाज में हम अपनी जिन्दगी जीते हैं। रोज सुबह उठते ही हमारे दिमाग में घर परिवार के साथ-साथ ऑफिस के कामों की चिन्ताएँ गहराई के साथ घूमने लगती हैं। ज्यादा सोच विचार हमें उस अवस्था में ले जाता है जहाँ हमारा दिमाग सिर्फ एक ही उत्तर देता है कि यह सब कैसे होगा। यह उत्तर ही हमें अवसाद की ओर ले जाता है। इनके अतिरिक्त और भी कई कारण हैं जिनसे डिप्रेशन को बढ़ावा मिलता है। अगर समय रहते इस समस्या पर ध्यान नहीं दिया जाए तो इसके गंभीर नतीजे हो सकते हैं।
पहचानें डिप्रेशन के लक्षण
कोई व्यक्ति डिप्रेशन अर्थात् अवसाद में है इस बात की जानकारी हमें रोजमर्रा की जिन्दगी से मिलने लग जाती है। कुछ ऐसे लक्षण होते हैं जिनसे पता चल जाता है कि व्यक्ति अवसाद में है—
1. ठीक से नींद न आना
2. कम भूख लगना
3. अपराध बोध होना
4. हर समय उदास रहना
5. आत्मविश्वास में कमी, किसी काम में दिलचस्पी न लेना
6. थकान महसूस होना और सुस्ती
7. उत्तेजना या शारीरिक व्यग्रता
8. नशे का सहारा लेना
9. एकाग्रता में कमी
10. मन में ख़ुदकुशी करने का ख्याल आना

डिप्रेशन से बचने के उपाय
करीबियों से करें बात, मदद मांगें
अवसाद से गुजर रहे लोगों के लिए इससे उबरने के लिए नियमित तौर पर ऐसे व्यक्ति से बात करना जिन पर वे भरोसा करते हों या अपने प्रियजनों के संपर्क में रहना रामबाण साबित हो सकता है। आप खुलकर अपनी समस्याएं उनसे शेयर करें और परिस्थितियों से लडऩे के लिए उनकी मदद मांगें। इसमें शर्म जैसी कोई बात नहीं है। हमारे सबसे करीबी लोग यदि हमें बुरे समय से बाहर नहीं निकालेंगे तो कौन मदद करेगा?
सेहतमंद खाएं और रोजाना व्यायाम करें
सेहतमंद और संतुलित खानपान से मन ख़ुश रहता है। वहीं कई वैज्ञानिक शोध प्रमाणित करते हैं कि व्यायाम अवसाद को दूर करने का सबसे अच्छा तरीक़ा है। जब हम व्यायाम करते हैं तब सेरोटोनिन और टेस्टोस्टेरोन जैसे हार्मोन्स रिलीज़ होते हैं, जो दिमाग़ को स्थिर करते हैं। डिप्रेशन को बढ़ाने वाले विचार आने कम होते हैं। व्यायाम से हम न केवल सेहतमंद बनते हैं, बल्कि शरीर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
अपने अंदर के लेखक को दोबारा जगाएं
कहते हैं मनोभावों को यदि आप किसी से व्यक्त नहीं कर सकते तो पेन और पेपर लेकर उन्हें लिख डालें। लिखने से अच्छा स्ट्रेस बस्टर शायद ही कुछ और हो। इसके अलावा लिखने से आत्मनिरीक्षण और विश्लेषण करने में मदद मिलती है। डायरी लिखने से लोग चमत्कारी ढंग से डिप्रेशन से बाहर आते हैं। इन दिनों ब्लॉग्स का भी ऑप्शन है। आप सोशल मीडिया पर भी अपने विचार साझा कर सकते हैं।
दोस्तों से जुड़ें और नकारात्मक लोगों से दूरी बनाएं
अच्छे दोस्त आपके मूड को अच्छा बनाए रखते हैं। उनसे आपको आवश्यक सहानुभूति भी मिलती है। वे आपकी बातों को ध्यान से सुनते हैं। डिप्रेशन के दौर में यदि कोई हमारे मनोभावों को समझे या धैर्य से सुन भी ले तो हमें अच्छा लगता है। दोस्तों से जुडऩे के साथ-साथ आप उन लोगों से ख़ुद को दूर कर लें, जो नकारात्मकता से भरे होते हैं। ऐसे लोग हमेशा दूसरों का मनोबल गिराने का काम करते हैं।

अपने जॉब की करें समीक्षा
इन दिनों कार्यस्थलों पर कर्मचारियों को ख़ुश रखने की बड़ी-बड़ी बातें की जाती हैं, पर कई जगहों पर वास्तविकता इससे अलग होती है। यदि आप भी कार्यस्थल पर स्ट्रेस्ड महसूस करते हैं तो अपनी नौकरी की समीक्षा करें। हो सकता है कि नौकरी ही आपकी चिंता की वजह हो, जो आगे चलकर अवसाद का कारण बन जाए। ऐसी नौकरी को छोड़ दें, ताकि सुकून से जी सकें। वह नौकरी ही क्या जो आपको संतुष्टि और ख़ुशी न दे रही हो? आप अपने पसंद के क्षेत्र में नौकरी के विकल्प तलाश सकते हैं।
नियमित रूप से छुट्टियां लें
एक ही ऑफिस, शहर और दिनचर्या भी कई बार बोरियत पैदा करने वाले कारक होते हैं, जो आगे नकारात्मक विचार और फिर डिप्रेशन पैदा करते हैं। माहौल बदलते रहने से नकारात्मक विचारों को दूर रखने में मदद मिलती है। यदि लंबी छुट्टी न मिल रही हो तो सप्ताहांत पर ही कहीं निकल लें। रिसर्च कहती हैं कि नियमित रूप से छुट्टी पर जाने वाले लोग, लगातार कई सप्ताह तक काम में लगे रहने वाले लोगों की तुलना में बहुत कम अवसादग्रस्त होते हैं।
भरपूर नींद लें
एक अच्छी और पूरी रात की नींद हमें सकारात्मक ऊर्जा से भर देती है। अध्ययनों से पता चला है कि रोजाना 7 से 8 घंटे सोने वाले लोगों में अवसाद के लक्षण कम देखे जाते हैं। इसलिए व्यस्तता के बावजूद अपनी नींद से समझौता न करें।
संगीत का लें सहारा
जब लोग अवसादग्रस्त होते हैं तो अच्छा संगीत सुनकर उन्हें अच्छा लगता है। यह तथ्य कई वैज्ञानिक शोधों द्वारा प्रमाणित हो चुका है। जब भी मानसिक रूप से परेशान हों तो अपना पसंदीदा गाना सुनें। संगीत में मूड बदलने, मन को अवसाद से निकालने की अद्भुत ताकत होती है। इस मामले में एक बात का विशेष ख्याल रखें गीत वही सुनें जो मस्ती भरे हों, गमगीन गीतों से दूर रहें।
प्रयास करके बीती हुई बातों को न दोहराएँ
अपनी पुरानी भूलों और गलतियों का शिकवा करना आपको पूरी तरह से अवसाद के चंगुल में फंसा सकता है। एक तो पुरानी बातें आपके नियंत्रण में नहीं होतीं। फिर उस बारे में सोच-सोचकर क्या फायदा। आप बेवजह अपने दिलोदिमाग पर शर्मिन्दगी का बोझ बढ़ाते हैं। पुरानी बातों के बारे में सोचने के बजाय वर्तमान पर ध्यान दें।
अकेले न रहें, लोगों से मिलें
जब आप अवसादग्रस्त होते हैं तब ख़ुद को दुनिया से दूर कर लेना सबसे आसान और जरूरी समाधान लगने लगता है। आपको लगता है कि आपकी समस्या को कोई दूसरा नहीं समझ सकता। लेकिन ख़ुद को लोगों से काटकर आप अवसाद को फलने-फूलने का मौका उपलब्ध कराते हैं। यदि आप अपने दोस्तों और करीबियों से अपनी समस्या साझा नहीं कर सकते तो किसी मनोचिकित्सक से सलाह लें। इससे अवसाद की जड़ तक जाने और इसे दूर करने में मदद मिलेगी।