फर्स्ट ओरिजनेटर की पहचान के लिए हर संदेश का फिंगरप्रिंटिंग जरूरी: समिति

May 27 2021

फर्स्ट ओरिजनेटर की पहचान के लिए हर संदेश का फिंगरप्रिंटिंग जरूरी: समिति

India Emotions, New Delhi. सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म अश्लीलता, अफवाह और बच्चों पर दुष्प्रभाव डालने वाली सामग्री फैलाने का माध्यम बनते जा रहे हैं। पिछले साल तीन फरवरी को राज्यसभा की तदर्थ समिति ने एक रिपोर्ट में यह बात कही थी।

रिपोर्ट में ऐसी सामग्री के फर्स्ट ओरिजिनेटर यानी इसे सबसे पहले पोस्ट करने वाले की पहचान की व्यवस्था बनाने की बात कही गई। नई सूचना प्रौद्योगिकी नियमों में यही प्रावधान है। व्हाट्सएप ने इस प्रावधान की आड़ लेकर दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर की है।

केंद्र द्वारा जारी नियमावली के तहत दिए आदेशों का पालन करने के लिए तीन महीने का समय दिया था, जो 25 मई को पूरा हो चुका है। व्हाट्सएप का तर्क है कि किसी संदेश, फोटो या वीडियो के फर्स्ट ओरिजनेटर की पहचान के लिए उसे अपने प्रत्येक यूजर के हर प्रकार के संदेश को फिंगरप्रिंटिंग करनी होगी। यानी हर संदेश को एक अलग पहचान का कोड देना होगा। उस संदेश को जितनी बार भी फैलाया जाएगा, कोड यथावत रहेगा।

इससे कोई संदेश सबसे पहले किस मोबाइल फोन यूजर द्वारा भेजा गया, इसकी पहचान हो सकेगी। यह बहुत कुछ किसी एसएमएस या फोन कॉल जैसा है, जिनका रिकॉर्ड टेलीकॉम कंपनियों के पास होता है।

व्हाट्सएप ने यह भी कहा, वह भारत सरकार के साथ व्यावहारिक समाधान निकालने के लिए बातचीत जारी रखेगा। साथ ही कानूनी रूप से मांगी गई सूचनाओं पर जवाब देता रहेगा।

व्हाट्सएप के अनुसार, दुनिया भर में उसने अब तक सभी विशेषज्ञों और सिविल सोसाइटी के समूह के साथ यूजर्स की निजता बनाए रखने का समर्थन और इसे तोड़ने वाले नियमों का विरोध किया है। नहीं दी लिखित आपत्ति केंद्र ने व्हाट्सएप की ओर से दिल्ली हाईकोर्ट में दाखिल याचिका पर बुधवार को अपनी स्थिति स्पष्ट की।

केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स व आईटी मंत्रालय ने कहा, अक्तूबर, 2018 से अब तक गंभीर अपराधों से जुड़े संदेशों के मूल स्रोत को तलाशने की जरूरत पड़ने पर व्हाट्सएप ने एक बार भी कभी इस बात पर लिखित आपत्ति दाखिल नहीं की।

कंपनी हमेशा दिशानिर्देशों को लागू करने की समयसीमा को आगे बढ़ाने की ही मांग करती रही । लेकिन पता लगाना संभव नहीं है, इसके लिए कोई औपचारिक आवेदन नहीं दिया।

मंत्रालय ने कहा , भारत में चल रहा कोई भी ऑपरेशन यहां के कानून के दायरे में आता है। दिशानिर्देशों का पालन करने से इनकार करना इनका स्पष्ट उल्लंघन है।

दोहरे मानदंड अपनाते हैं व्हाट्सएप जैसे मंच : पई

सूचना प्रौद्योगिकी जगत से जुड़े रहे टीवी मोहनदास पई ने व्हाट्सएप जैसे सोशल मीडिया मंचों पर दोहरे मानदंड अपनाने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा, देश के कानूनों को नागरिकों की निजता परिभाषित करते हुए उसकी रक्षा करनी चाहिए।

इंफोसिस के पूर्व मुख्य वित्त अधिकारी पई के मुताबिक, ये मंच सार्वजनिक जरूरत बन गए हैं और करोड़ों लोग इनका इस्तेमाल करते हैं। ये कंपनियां अमेरिकी कानून के अधीन हैं व वहां की एजेंसियों के पास हमारे डाटा तक पहुंच है। ऐसे में गोपनीयता कहां रही।

स्पष्टता नहीं  पर फेसबुक तैयार 

फेसबुक ने कहा था, कंपनी परिचालन प्रक्रियाओं को लागू करने के लिए काम कर रही है और इसका मकसद आईटी नियमों के प्रावधानों का पालन करना है। वह कुछ मुद्दों पर स्पष्टता को लेकर सरकार के संपर्क में है।