सिर्फ पढ़ाई से नहीं अपितु खेलों से भी होता है बच्चों का शारीरिक व सामाजिक विकास

Jul 28 2022

सिर्फ पढ़ाई से नहीं अपितु खेलों से भी होता है बच्चों का शारीरिक व सामाजिक विकास

आधुनिकता व प्रतिस्पर्धा के इस दौर में हर माता-पिता अपने बच्चों को पहली पायदान पर देखना चाहते हैं। लेकिन वे इस बात को सिर्फ बच्चों की पढ़ाई पर लागू करते हैं। वह यह नहीं सोचते कि बच्चा पढ़ाई के साथ-साथ अन्य गतिविधियों में भी आगे रहे। सिर्फ पढ़ाई में आगे रहने से ही बच्चों का करियर नहीं संवारता, अपितु अन्य गतिविधियों में आगे रहने से भी बच्चा अपना करियर संवार सकता है। पढ़ाई के बाद करियर के लिहाज से वर्तमान में खेलकूद दूसरे स्थान पर आते हैं। खेल प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से बच्चों की बुद्धि और सामाजिक कौशल को बढ़ाने में सहायक हैं। जीवन में खेलों का विशेष महत्व हमेशा से रहा है और हमेशा रहेगा जो उनके चहुमंखी विकास के लिए बहुत जरूरी है। खासतौर से पारम्परिक खेलों पर ध्यान देना जरूरी है। अगर आपका बच्चा दोस्तों के साथ नहीं खेलता है, तो इससे उनकी संवाद की क्षमता पर असर पड़ता है। आज हम अपने खास खबर डॉट कॉम के पाठकों को बताने जा रहे हैं कि किस तरह खेल बच्चों के शारीरिक और सामाजिक विकास के लिए जरूरी हैं . . .

होता है मस्तिष्क का विकास
हाल ही में जारी हुए एक शोध के परिणाम में बताया गया है कि एक्टिव बच्चों में संज्ञानात्मक कौशल का विकास तीव्रता से होता है। निष्क्रिय बच्चों की तुलना में वे अच्छी तरह ध्यान केन्द्रित कर पाते हैं और अपने मस्तिष्क का उपयोग भी अधिक अच्छी तरह कर पाते हैं। यह आपके बच्चे को खेलों में भाग लेने के लिए एक बहुत अच्छा कारण है।

शारीरिक मजबूती आती है
खेलने से बच्चा अंदर से मजबूत बनता है और इससे उनका शारीरिक विकास तेजी से होता है। दरअसल खेलने के दौरान आपके शरीर में तेजी से ऑक्सीजन का संचार होता है। इससे ब्लड सर्कुलेशन बेहतर हो सकता है। साथ ही इससे आपके बच्चे का पाचन तंत्र भी अच्छा होता है। ऐसे में वे जो भी खाते हैं, उसका पाचन अच्छे से होता है। इसलिए, उन्हें खेलने के लिए प्रोत्साहित करें क्योंकि इससे उनका मानसिक विकास भी अच्छे से होगा, क्योंकि खेलने के दौरान शरीर एंडोर्फिन नामक हार्मोन जारी करता है, जिससे शरीर में सकारात्मक भावना का संचार होता है।

पढ़ाई में भी बेहतर कर पाते हैं
नियमित रूप से खेल खेलने वाले बच्चे आमतौर पर अपनी पढ़ाई में बेहतर प्रदर्शन करते हैं। इसका एक कारण यह भी है कि वे समर्पण और कड़ी मेहनत करने के सिद्धांत को अपनी पढ़ाई में भी लागू करते हैं। जिससे वह अपने सारे काम कुशलतापूर्वक करते हैं। साथ ही अपने वर्तमान पर अधिक ध्यान केंद्रित करते हैं।

आत्मसम्मान में सुधार
कई तरह के खेल खेलने से बच्चों के आत्मसम्मान में सुधार होता है। इससे उनके मन पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। दरअसल जब खेल में आपकी टीम जीत जाती है या आपको कुछ अंक हासिल होते हैं, तो बच्चे के लिए वह बेहद सुखद क्षण होता है। इससे उनमें स्किल डेवलपमेंट के साथ-साथ धैर्य रखने की क्षमता का भी विकास होता है। इसके अलावा वह जीवन में अपने लक्ष्य को लेकर काफी दृढ़ संकल्प के साथ आगे बढ़ते हैं। इससे वह पढ़ाई में भी अच्छे होते हैं।

सामाजिक कौशल का विकास
जब आपका बच्चा खेलकूद में भाग लेता है, तो वे कई तरह के सामाजिक कौशल का भी विकास कर पाते हैं। उन्हें दोस्त से बात करना, टीम भावना के साथ खेलना और दूसरों के प्रति स्वीकार्यता बढ़ती है। इससे उन्हें भविष्य में काफी मदद मिलती है। टीम कैप्टन के रूप में उनकी नेतृत्व की क्षमता का भी विकास होता है। इससे उनका आत्मविश्वास भी बढ़ता है।

बच्चा सीखता है टीम वर्क
खेलों से हम टीम वर्क का कौशल सीखते हैं। आपका बच्चा सीखता है कि किस प्रकार टीम की विजय में योगदान दिया जा सकता है। यह एक मूल्यवान गुण है। यह उन्हें तब सहयता देता है जब वे बड़े हो जाते हैं और नौकरी करते हैं।

प्रतियोगी भावना सीखता है बच्चा
आपका बच्चा प्रतियोगिता के विश्व में उतरे उससे पहले उसे यह सिखाना आवश्यक है कि प्रतियोगिता किस प्रकार की जाती है तथा खेल की गतिविधियों के माध्यम से उच्च स्थान पर कैसे पहुंचा जा सकता है। जीतना और हारना जीवन का हिस्सा है तथा आपका बच्चा इसे खेल की उन गतिविधियों के माध्यम से सीखता है जिसमें वह हिस्सा लेता है। कभी कभी वह हार भी सकता/सकती है तथा तभी वह बातों को खिलाड़ी भावना से लेना सीखता है।

संचार कौशल में सुधार
यदि आपका बच्चा शर्मीला है और अपने आप में रहता है या दूसरों से बात करने के लिए शर्माता है, तो आपको उसे ऐसा खेल खेलने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए, जिससे उसके संचार कौशल में सुधार हो सके। अपने साथियों से बात करने से उनका मनोबल बढ़ता है। खेल के दौरान होने वाले द्वंद्व से भी बच्चे अपनी बात रखना सीखते हैं।

धैर्य और सहनशीलता
खेल की गतिविधियों से शारीरिक सहनशीलता बढ़ती है। हर खेल आखिरी तक खेला जाता है जिससे आपका बच्चा सीखता है कि अधिक समय तक गर्मी में कैसे रहा जाता है। अपने बच्चे को खेलने के लिए कैसे प्रोत्साहित करें? तो अपने बच्चे को प्लेग्राउंड ले जाएँ। प्रत्येक गेम प्रत्येक खिलाड़ी की सहनशीलता के लिए चुनौती के समान होता है। सुनिश्चित करें कि आपका बच्चा इस प्रकार के खेलों में सहभागी हो ताकि उसकी सहनशीलता बढ़ सके। शारीरिक गतिविधियों में ताकत ही सब कुछ होती है।