सिनेमाघरों में ‘धड़क 2’ की दस्तक
1 अगस्त 2025 को रिलीज़ हुई सिद्धांत चतुर्वेदी और तृप्ति डिमरी की फिल्म ‘धड़क 2’ को लेकर दर्शकों में काफी उत्सुकता थी। यह फिल्म न सिर्फ बहुप्रतीक्षित थी, बल्कि इसे अजय देवगन और मृणाल ठाकुर की कॉमेडी ड्रामा ‘सन ऑफ सरदार 2’ और डेब्यू सितारों आहान पांडे और अनीत पड़्डा की ‘सैयारा’ जैसी फिल्मों से कड़ी टक्कर भी मिली। इसके बावजूद ‘धड़क 2’ ने पहले दिन ठीक-ठाक शुरुआत की और शनिवार को कारोबार में थोड़ी बढ़त देखी गई।
दो दिन में ₹7.25 करोड़ की कमाई
ट्रेड ट्रैकर सैकनिल्क के मुताबिक, ‘धड़क 2’ ने पहले दिन ₹3.5 करोड़ की कमाई की, जबकि शनिवार को शुरुआती आंकड़ों के अनुसार इसने ₹3.75 करोड़ का बिज़नेस किया। इस तरह भारत में फिल्म की कुल कमाई दो दिनों में ₹7.25 करोड़ पहुंच गई है। सिद्धांत और तृप्ति की यह प्रेम कहानी धीरे-धीरे दर्शकों का दिल जीतती दिख रही है।
प्रतिस्पर्धा में बनी हुई है ‘धड़क 2’
जहां तक मुकाबले की बात है, अजय देवगन की ‘सन ऑफ सरदार 2’ ने बॉक्स ऑफिस पर धमाकेदार शुरुआत की। इस फिल्म ने पहले दिन ₹7.25 करोड़ और दूसरे दिन ₹7.5 करोड़ कमाकर दो दिन में ₹14.75 करोड़ का आंकड़ा पार कर लिया। दूसरी ओर, ‘सैयारा’ भी तीसरे हफ्ते में मजबूती से बनी हुई है और शुक्रवार को इसने अच्छी कमाई की। ऐसे में ‘धड़क 2’ को इन दोनों फिल्मों से जोरदार प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ रहा है।
जातिवाद के खिलाफ प्रेम की लड़ाई: धड़क 2 की थीम
‘धड़क 2’ की कहानी एक ऊँची जाति की लड़की और एक नीची जाति के लड़के के प्रेम पर आधारित है। यह फिल्म दिखाती है कि कैसे सामाजिक भेदभाव और जातिगत सीमाएं एक सच्चे रिश्ते को तोड़ने की कोशिश करती हैं। यह कहानी दर्शकों को न केवल प्रेम की ताकत दिखाती है, बल्कि समाज में मौजूद कड़वे सच का भी आइना पेश करती है।
जब बॉलीवुड ने पार की सामाजिक और सांस्कृतिक सीमाएं
बॉलीवुड ने पहले भी कई फिल्मों के ज़रिए सीमाओं से परे प्रेम कहानियों को उजागर किया है:
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धड़क (2018): जान्हवी कपूर और ईशान खट्टर की यह फिल्म भी जातिगत राजनीति के दर्दनाक प्रभाव को दिखाती है, जिसमें प्रेम हिंसा और सामाजिक भेदभाव की गिरफ्त में फंस जाता है।
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गली बॉय (2019): रणवीर सिंह और आलिया भट्ट की इस फिल्म में एक ऐसे प्रेम को दिखाया गया है, जो गरीबी, सामाजिक दबाव और महत्वाकांक्षा की सीमाओं से जूझते हुए भी कायम रहता है।
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2 स्टेट्स: चेतन भगत के उपन्यास पर आधारित इस फिल्म में दो अलग-अलग सांस्कृतिक पृष्ठभूमि वाले प्रेमियों की कहानी है, जो परिवार की रूढ़ियों और पूर्वाग्रहों के खिलाफ लड़ते हैं।
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राम-लीला: संजय लीला भंसाली की यह फिल्म शेक्सपियर की ‘रोमियो और जूलियट’ की भारतीय पुनर्कल्पना है, जिसमें विद्रोह, जुनून और नाटक का अनूठा संगम है।
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रांझणा: यह एकतरफा प्रेम की कहानी है, जो धार्मिक और राजनीतिक विभाजन की पृष्ठभूमि में घटती है और जिसकी परिणति त्रासदी में होती है।
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वीर-ज़ारा: प्रीति ज़िंटा और शाहरुख़ ख़ान की यह प्रेम कहानी दो देशों की सीमाओं को पार करती है, लेकिन इसे सांस्कृतिक, राजनीतिक और कानूनी बाधाओं का सामना करना पड़ता है।
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बॉम्बे: एक हिंदू पुरुष और मुस्लिम महिला की प्रेम कहानी, जो परिवार की मर्ज़ी के खिलाफ शादी करते हैं और धार्मिक असहिष्णुता व सांप्रदायिक दंगों के शिकार बनते हैं।
निष्कर्ष: प्रेम की ताकत और सामाजिक चुनौतियां
‘धड़क 2’ न केवल एक रोमांटिक फिल्म है, बल्कि यह जातिगत भेदभाव जैसे गंभीर मुद्दों को सामने लाकर दर्शकों को सोचने पर मजबूर करती है। बॉलीवुड की यह परंपरा रही है कि वह प्रेम को सीमाओं, धर्म, संस्कृति और सामाजिक बंधनों से परे दिखाता है। इन कहानियों में जहां एक ओर प्रेम की नज़ाकत है, वहीं दूसरी ओर समाज के कठोर सत्य भी छिपे हैं। ‘धड़क 2’ इसी कड़ी का अगला अध्याय बनता जा रहा है।