अरुण जेटली की श्रद्धांजलि सभा में बोले पीएम मोदी- उनकी कमी पल पल महसूस करता हूं

Sep 10 2019

अरुण जेटली की श्रद्धांजलि सभा में बोले पीएम मोदी- उनकी कमी पल पल महसूस करता हूं

इंडिया इमोशंस न्यूज नई दिल्ली. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को भाजपा नेता अरुण जेटली को श्रद्धांजलि दी। उन्होंने कहा अपने दोस्त को मैं आज आदरपूर्वक अंजली दे रहा हूं। किसी की जिंदगी में ऐसे पल नहीं आने चाहिए। मेरा दुर्भाग्य है कि आज मेरे नजदीक में एक अच्छे पुराने दोस्त और उम्र में छोटे दोस्त को श्रद्धांजलि देने की नौबत आई है। मैं अंजली देता हूं ओम शांति शांति।

मोदी ने कहा कि हम उनकी श्रद्धांजलि के एक भी अवसर को खोने नहीं देंगे। उनके परिवार में विशिष्ट तरह का सामर्थ्य है। यह भी एक सद्भाग्य की बात है कि ऐसा सामर्थ्वान है। लेकिन अरुण जी की कमी हम सभी महसूस करेंगे।

उनका जीवन विविधताओं से भरा था: मोदी

जेटली जी का जीवन विविधताओं से भरा था। किसी भी लेटेस्ट तकनीक के बारे में बात करें तो वे उसका चिट्ठा खोल देते थे। वे वन लाइनर के लिए जाने जाते थे। मीडिया वालों के बहुत प्रिय थे। जिस चीज को पाने के लिए मीडिया वालों को 8-10 घंटे लगते थे, जेटली जी से वो उन्हें 8-10 मिनट में मिल जाती थी।

वे हमेशा हमारे साथ रहते थे: मोदी

मोदी ने कहा कि ऐसे प्रतिभा के धनी व्यक्ति को हमने खोया है। एक दोस्त के रूप में मुझे उसके साथ जीने का अवसर मिला। वे आर्थिक रूप से संपन्न व्यक्ति थे। उनके लिए फाइव स्टार होटल में रहना कोई मुश्किल नहीं था। लेकिन वर्किंग कमेटी में वे कभी पार्टी व्यवस्था के बाहर नहीं रहे। हम वर्किंग कमेटी की बैठक में हमेशा साथ रहे। वहां एसी हो न हो व्यवस्था कैसी भी हो, वे हमारे साथ रहते थे।

जेटली जी चीजों में वैल्यू एड करते थे: मोदी

प्रधानमंत्री ने कहा कि एक कार्यकर्ता के लिए जो अपेक्षाएं होती थीं उसे वे जीकर दिखाते थे। अटलजी जब थे तो किसी भी चीज में ड्राफ्टिंग में या तो अडवाणी जी या फिर जेटली जी हाथ लगाते थे। उनकी यह विशेषताएं चीजों में वैल्यू एडिशन करती थीं।

वे छात्र राजनीति से पैदा हुआ पौधा थे: मोदी 

 उन्होंने कहा कि ऐसी प्रतिभा वाला व्यक्ति जीवन में बहुत कुछ पा सकता है। लेकिन उन्होंने अपने सारे व्यक्तित्व को सिर्फ और सिर्फ देश के लिए काम आएं इस तरह से जिए। वे छात्र राजनीति की नर्सरी में पैदा हुआ पौधा था। हिंदुस्तान की राजनीति में वटवृक्ष बनकर उभर आए वो भी स्वप्रयत्न से, स्वअनुशासन से।

प्रतिभा को एक निश्चित दिशा में ढालकर। उन्हें जो काम मिला उसमें नई ऊर्जा और नई सोच दी। ऐसे एक साथी को मैंने खोया है। हम सबने कुछ न कुछ खोया है।