यूक्रेन से आये भारतीय बच्चे, सुनिये चौंकाने वाली हकीकत

Mar 02 2022

यूक्रेन से आये भारतीय बच्चे, सुनिये चौंकाने वाली हकीकत
यूक्रेन से भारतीय स्टूडेंट्स को लेकर पांच उड़ानें बुधवार को पहुंची भारत

इंडिया इमोशंस, नई दिल्ली। हर सात साल पर रूस यूक्रेन को हतोत्साहित करने अथवा उसके विकास को रोकने के लिए युद्ध के हालात पैदा करता आया है, लेकिन इस बार स्थितियां विस्फोटक हैं। युद्ध इस कदर भयावह होता जाएगा हमने क्या यहां के आम नागरिकों ने भी नहीं सोचा था। ऐसा कहना है उन भारतीय स्टूडेंट्स का जो बुधवार को अलग-अलग पांच उड़ानों से भरत (नई दिल्ली) पहुंचे। इंडिया इमोशंस के साथ हुई एक खास बातचीत में यूक्रेन संकट से बच कर स्वदेश लौटे इन विद्यार्थियों ने कई अहम खुलासे किये और अहम जानकारियां दीं। यहां पहुंचे बच्चों ने बताया कि केन्द्र सरकार के मंत्रीगण भी पोलैंड बॉर्डर और एयरपोर्ट पर पहुंच कर सभी भारतीयों को दिलासा दे रहे हैं, मदद कर रहे हैं।

असल में एक महीने से भी ज्यादा वक्त से यूक्रेन और रूस के बीच युद्ध की आशंका जतायी जा रही है, ऐसे में यूक्रेन प्रशासन ने भारत समेत दुनिया भर से यहां आकर पढऩे वाले स्टूडेंट्स को सतर्क रहने या समय रहते अपने-अपने ठिकानों पर निकल जाने को लेकर कतई सचेत नहीं किया। यहां तक कि बीती 16 फरवरी को भी रूस की ओर से यूक्रेन पर आक्रमण कर देने की चेतावनी दी गई थी। उस तारीख तक भी यूक्रेन इसको लेकर कोई एलर्ट जारी नहीं कर रहा था। स्टूडेंट्स सहमे हुए तो थे लनेकनि इस बीच जब 16 तारीख को कोई आक्रमण नहीं हुआ सभी के मन में यह बात बैठ गई कि सबकुछ धमकी तक सीमित है और युद्ध की नौबत नहीं आएगी।

इसी संदर्भ में अपनी बात रखते हुए यूक्रेन से बुधवार को भारत पहुंचे यूपी सिद्धार्थनगर के रहने वाले एक भारतीय मेडिकल स्टूडेंट मोहम्मद युसूफ ने बताया कि युद्ध की गर्माहट के बीच हमारी क्लासेज चलतीं रहीं। हमारे टीचर्स ने भी यहीं कहा कि सबकुछ ठीक हो जाएगा। पर ऐसा नहीं हुआ एक रात जब हम हॉस्टल में थे, रात में कई फाइटर प्लेन आसमां से गुजरते देखा। सुबह पता चला कि हमारे इवानोफ्रान्सकिस्व शहर का एयरबेच रूस की मिसाइल से ध्वस्त कर दिया गया। हमने वहां से धुएं का गुबार उठता देखा। ...हम सभी सहम गये और अपनी जान बचाने की खातिर जैसे-तैसे वहां से स्वदेश वापसी की जुगत में लग गये।

यूक्रेन से लौटे टांडा, अम्बेडकरनगर निवासी हर्ष मिश्रा ने बताया कि युद्ध शुरू हो जाने के बाद हमारा एक-एक दिन बेहद कठनाई से गुजरा। हमे अपने शहर लेविव से बॉर्डर तक पहुंचने में हर पल जान दांव पर लगानी पड़ी। लगातार 22 दिनों से हम चल रहे हैं, बॉडर तक पहुंचने से पहले भगदड़ की स्थितियां हैं। हर कोई एक-दूसरे से आगे निकल जाना चाहता दिखा।

कानपुर निवासी एक स्टेूडेंट आशीष का कहना है कि हम तो यूक्रेन के ऐसे इलाके से आये हैं जहां ज्यादा बममारी नहीं हो रही, लेकिन कीव, खाती, सूमी शहरों में लगातार बमबारी हो रही है। वहां बच्चों के बंकर से निकलने का मतलब मौत है। बंकर में खाने का संकट है, तापमान भी इस कदर गिर हो जाता है कि रहना मुश्किल है। अगर उन्हें समय रहते नहीं निकला गया तो वे वहीं दम तोड़ देंगे।
यूके्रन से भारत लौटे लखनऊ के एक अन्य मेडिकल छात्र ने बताया कि हम तो यहां जेसे-तैसे पहुंच गये लेकिन यूक्रेन के कई शहर ऐसे हैं जहां स्थितियां इस कदर भयावह हैं कि हमारे स्टूडेंट्स साथी बंकर और ट्रेनों के यार्ड में छिपे बैठे हैं। उन्हें अब खाने-पीने तक की दिक्कत हैं। उनका क्या होगा, हमें उनकी भी चिंता है। हमारी सरकार को ऐसे फंसे भारतीय बच्चों को भी वहां से निकालना होगा। वहां संचार व्यवस्था भी ध्वस्त होने के कारण बच्चे अपने घरवालों से बात तक नहीं कर पा रहे।