1993 के मुंबई बम धमाकों में शामिल अबु बकर गिरफ्तार, UAE से लाया गया भारत

Feb 05 2022

1993 के मुंबई बम धमाकों में शामिल अबु बकर गिरफ्तार, UAE से लाया गया भारत

नई दिल्ली: भारत के मोस्ट वांटेड आतंकवादियों में से एक अबू बकर 1993 के मुंबई बम धमाकों में शामिल और प्रमुख साजिशकर्ताओं में से एक संयुक्त अरब अमीरात से पकड़ा गया है़. अबु बकर को जांच एजेंसियां भारत लेकर आई हैं. दाऊद इब्राहिम के करीबी अबू बकर को भारतीय अधिकारियों के अनुरोध पर यूएई में रखा गया था, जहां वह वर्षों से रह रहा था. अबु बकर की गिरफ्तारी लंबे अरसे बाद हुई है और वो लगातार 29 साल से भारतीय जांच एजेंसियों की राडार से फरार चल रहा था. 1997 में दाऊद इब्राहिम कासकर की डी कंपनी के इस कोर टीम के सिपहसालार के खिलाफ रेड कॉर्नर नोटिस भी जारी किया गया था.

सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि भारतीय एजेंसियां ​​कानून का सामना करने के लिए अबू बकर को देश में प्रत्यर्पित किया गया है. अबू बकर उर्फ अबू बकर अब्दुल गफूर शेख दाऊद इब्राहिम के प्रमुख लेफ्टिनेंट मोहम्मद और मुस्तफा दोसा के साथ खाड़ी देशों से मुंबई में सोने, कपड़ों और इलेक्ट्रॉनिक्स की तस्करी में शामिल था. उन्हें 2019 में यूएई में भी हिरासत में लिया गया था, लेकिन वे भागने में सफल रहे. दाऊद इब्राहिम द्वारा रचित मुंबई में सिलसिलेवार बम विस्फोटों में लगभग 257 लोगों की मौत हो गई थी, जबकि 713 अन्य घायल हो गए थे. जबकि दाऊद इब्राहिम, जिसे पाकिस्तान की आईएसआई का संरक्षण प्राप्त है, देश में रहना जारी रखता है, उसके कई साथियों को गिरफ्तार किया गया है और सजा सुनाई गई है. जो लोग भागने में सफल रहे, उनमें से एक सलीम गाज़ी की कथित तौर पर पिछले महीने पाकिस्तान के कराची में मौत हो गई थी. सूत्रों ने बताया कि गाजी का निधन दिल की बीमारी से हुआ. वह मधुमेह, उच्च रक्तचाप और अन्य बीमारियों से पीड़ित थे. उस पर विस्फोट के लिए उकसाने का आरोप लगाया गया था और घटना के तुरंत बाद वह दाऊद इब्राहिम के गिरोह के अन्य सदस्यों के साथ पाकिस्तान भाग गया था. तब से, भारतीय अधिकारी उसे पकड़ने में विफल रहे.

पिछले साल यूसुफ मेमन की नासिक रोड सेंट्रल जेल में मौत

पिछले साल विस्फोट के साजिशकर्ताओं में से एक टाइगर मेमन के भाई यूसुफ मेमन की नासिक रोड सेंट्रल जेल में मौत हो गई थी. एक और दोषी मुस्तफा दोसा की 2017 में मौत हो गई थी. उनके दूसरे भाई, याकूब मेमन, जिन्हें भी बम विस्फोटों के वित्तपोषण में उनकी भूमिका के लिए दोषी ठहराया गया था, को 30 जुलाई 2015 को नागपुर सेंट्रल जेल में फांसी दी गई थी. एक अन्य प्रमुख साजिशकर्ता, गैंगस्टर अबू सलेम को लंबी कानूनी लड़ाई के बाद 11 नवंबर, 2005 को पुर्तगाल से प्रत्यर्पित किया गया था. पुर्तगाल के सर्वोच्च न्यायालय ने 2012 में सीबीआई की उस अपील को खारिज कर दिया था जिसमें उसके प्रत्यर्पण को समाप्त करने को चुनौती दी गई थी. जून 2017 में, सलेम को दोषी ठहराया गया और बाद में मुंबई में 1993 के सीरियल ब्लास्ट मामले में उसकी भूमिका के लिए आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई.

सलेम को बम धमाकों से पहले गुजरात से मुंबई हथियार ले जाने का दोषी पाया गया था. 12 मार्च 1993 में बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज से लेकर ऑयर इंडिया बिल्डिंग,वर्ली सेंच्युरी मिल के पास, पासपोर्ट ऑफिस के पास, काथा बाजार के पास, सी रोक होटल के पास, एयरपोर्ट के पास कुल मिलाकर 12 जगह सिलसिलेवार बम धमाके हुए थे जिसमें 257 लोगो की मौत हुई थी और 715 से ज्यादा लोग जख्मी हुए थे.