स्वयं को समझें इंसान, मशीन नहीं, कायरता नहीं है हार स्वीकार करना

Jan 27 2022

स्वयं को समझें इंसान, मशीन नहीं, कायरता नहीं है हार स्वीकार करना

वर्तमान की आपाधापी और अपनी व्यापक जरूरतों को पूरा करने के लिए हमने अपने आपको मशीन की भांति इतना व्यस्त कर लिया है कि हम मानसिक उलझनों के शिकार होकर रह गए हैं। एक वक्त आता है जब मशीन भी काम करना बंद कर देती है लेकिन हम हैं जो बिना स्वयं को रोके बस चले जा रहे हैं। परिणामस्वरूप हम पर तनाव हावी रहने लगा है जो न हमारे स्वास्थ्य और न ही हमारे सामाजिक जीवन के लिए सही है। तनाव का जहाँ हमारे सामाजिक जीवन पर व्यापक असर पड़ता है वहीं इसके चलते हमारे कार्य क्षमता भी प्रभावित होती है। कहने का तात्पर्य यह है कि हम प्रकृति के द्वारा बनाए गए 24 घंटों में स्वयं को व्यस्त ही पाते हैं, चाह कर भी इस व्यस्तता से निजात नहीं मिल पाती हैं। आज हम आपको कुछ ऐसे उपाय बताने जा रहे हैं जिनके चलते आप स्वयं को अपनी व्यस्तता से दूर करते हुए एक आम इंसान की तरह जिन्दगी बिता सकते हैं।
पूर्वाग्रह से बचें
पूर्वाग्रह से ग्रस्त होकर हर तरह के काम को जल्द से जल्द पूरा करने की होड़ में यहां से वहां दौड़ते भागते रहते हैं। ऐसा करने से बचें। दरअसल कई बार हम बिना किसी बेहतर प्लान के किसी काम को अंजाम देते हैं जिसकी वजह से हमें हड़बड़ी या लेट होने के अनुभव को झेलना पड़ता है। ऐसे में हम अगली बार यह प्रयास करते हैं कि दुबारा इस तरह की स्थिति न बने। यह एक अच्छी बात है। लेकिन आपको यह जानना भी जरूर है कि इस चक्कर में आप बिना मतलब हड़बड़ी या जल्दी में ना रहें।
स्लो डाउन जरूरी
भले ही आपको हर चीज समय से पहले निपटा लेना सुविधाजनक लगता हो, लेकिन आपको बता दें कि इसकी वजह से आप तनाव झेलते हैं। बेहतर होगा कि दो कामों के बीच कम से कम 10 मिनट का अन्तराल लें और इस अन्तराल में आप स्वयं को हर काम से मुक्त रखते हुए थोड़ा आराम लें।
कायरता नहीं है हार स्वीकारना
दुनिया में कुछ चीजों को छोड़ देना स्वाभाविक परिणीति है, क्योंकि हम चाहकर भी हर चीज हासिल नहीं कर सकते हैं। दुनिया में हासिल करने के लिए अनंत चीजें हैं, जिसके लिए असीमित समय की आवश्यकता है, जबकि समय सीमा सीमित है। ऐसे में कुछ चीजों को छोड़ देना आपका अपना व्यक्तिगत विकल्प है, आपकी कायरता नहीं है।
मशीन नहीं, इंसान समझें
अपने कार्यस्थल पर अपना प्रभाव जमाने या फिर जल्द तरक्की पाने के चलते अक्सर व्यक्ति किसी भी हद तक काम करने को तत्पर हो जाता है। इसके चलते वह स्वयं की नींद तक हराम कर लेता है। आपको बता दें कि आप इंसान हैं, मशीन नहीं। आपके लिए रात की बेहतर नींद, तनाव रहित जिन्दगी अधिक जरूरी है, ना कि खुद को मशीन समझकर जीना। बड़ा सोचना या जीवन में अपने पीक पर जाने के लिए आप अधिक से अधिक मेहनत करें लेकिन खुद को इंसान के दायरे में रख कर ऐसा करें, क्योंकि आप इंसान हैं और इंसान की जरूरतें मशीनों जैसी नहीं होतीं।
गति को नहीं, अपितु क्वालिटी को दें महत्त्व
कई बार हम रात दिन काम करते हैं, घंटों कंप्यूटर के सामने बैठे डेटा कैल्कुलेशन या प्रेजेंटेशन बनाते रहते हैं। ऐसे में नेचुरल है कि कुछ घंटे के कॉन्सन्ट्रेशन के बाद काम की क्वालिटी बेहतर नहीं दिखती है। ऐसे में आप परेशान होकर खुद को दोषी समझने लगते हैं। यह इंसानों का काम करने का तरीका है। दो से तीन घंटे के बाद आपका दिमाग कुछ क्षण आराम चाहता है। ऐसे में अपने वर्किंग रिदम को सम्मान दें और क्वालिटी को महत्त्व दें।
तैयार रखें बफर टाइम
कई बार आप दो मीटिंग का प्लान करते हैं और पहली मीटिंग समय से अधिक देर तक चलने की वजह से सिचुएशन आपके हाथ से बाहर हो जाता है। इस समस्या से बचने के लिए आप हड़बड़ी करने की बजाय हमेशा दो मीटिंग के बीच एक बफर टाइम रखें। यह हमेशा ध्यान रखें कि चीजें हमेशा आपके विचार से अधिक समय ले सकती हैं। ऐसा करने से आप हड़बड़ाहट से बचे रहेंगे।
एक बार में न निपटाएं अधिक काम
कई लोग अपने टू डू लिस्ट में काम को जोड़ते ही चले जाते हैं। लेकिन यह आपके काम को पूरा करने का तरीका नहीं है। बेहतर काम के लिए एक बार में 5 से अधिक काम निपटाने की कोशिश ना करें। ऐसा करने से आप दिल लगाकर काम निपटाएंगे जिससे आपका श्रेष्ठ सामने आएगा। हड़बड़ाहट में कोई काम सही नहीं होता।
आलेख में दी गई जानकारियों को लेकर हम यह दावा नहीं करते कि यह पूर्णतया सत्य एवं सटीक हैं। इन्हें अपनाने से पहले संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।