गणेश चतुर्थी 2019 : गणेश चतुर्थी पर नहीं करने चाहिए चांद के दर्शन! जानिए क्या है कारण

Sep 01 2019

गणेश चतुर्थी 2019 : गणेश चतुर्थी पर नहीं करने चाहिए चांद के दर्शन! जानिए क्या है कारण
गणेश चतुर्थी (Ganesh Chaturthi 2019)

इंडिया इमोशंस न्यूज गणेश चतुर्थी (Ganesh Chaturthi 2019) को सिर्फ एक ही दिन शेष बचा है। हिंदू पंचाग के अनुसार हर साल भाद्रपद के शुक्लपक्ष की चतुर्थी तिथि को गणेश चतुर्थी (Ganesh Chaturthi 2019) का त्योहार मनाया जाता है। इस साल 2 सितंबर (सोमवार) को गणेश चतुर्थी का पर्व है। शास्त्रों में बताया गया है कि इसी तिथि पर भगवान गणेश का जन्म हुआ था।

गणेश चतुर्थी पर बुद्धि, समृद्धि और सौभाग्य के देवता भगवान गणेश की विधिवत पूजा-अर्चना की जाती है। गणेश चतुर्थी से 10 दिनों तक गणेशोत्सव भी शुरू हो जाता है। गणेश चतुर्थी पर अलग-अलग मान्यता है। आज हम आपको गणेश चतुर्थी के बारे में बताने जा रहे है। जिसके बारे में आपको जानना जरूरी है।

ऐसा कहा जाता है कि गणेश चतुर्थी के दिन चांद न देखें। इसे कलंक चतुर्थी और पत्थर चौथ भी कहते हैं। मान्यता है कि चंद्रदर्शन से मिथ्यारोप लगने या किसी कलंक का सामना करना पड़ता है। दृश्ज्ञिट धरती की ओर करके और चंद्रमा की कल्पना मात्र करके अघ्र्य देना चाहिए।

मान्यता है कि एक बार गणेश जी चंद्र देवता के पास से गुजरे तो उसने गणपति का उपहास उड़ाया। गणेश जी ने शाप दिया कि आज के दिन जो तुझे देख भी लेगा वह कलंकित हो जाएगा। शास्त्रों के अनुसार, भगवान कृश्ज्ञण ने भी भूलवश इसी दिन चांद देख लिया था और फलस्वरुप उन पर हत्या व स्मयंतक मणि जो आजकल कोहिनूर हीरा कहलाता है, जो इस समय इंग्लैंड में है, उसे चुराने का आरोप लगा था।

ज्योतिषों के अनुसार, यदि अज्ञानतावश या जाने अनजाने यह दिख जाए तो निम्न मंत्र का पाठ करें।
! सिंह प्रसेनम् अवधात,सिंहो जाम्बवता हत:! सुकुमारक मा रोदीस्तव ह्रास स्वमन्तक !!

इसके अलावा आप हाथ में फल या दही लेकर भी दर्शन कर सकते हैं। यदि आप पर कोई मिथ्यारोप लगा है, तो भी इसका जाप करते रहें। दोश्ज्ञा मुक्त हो जाएंगे।

दक्षिणावर्त गणपति की मूर्ति का रहस्य...
गणेश जी की सभी मूर्तियां सीधी या उत्तर की ओर सूंड वाली होती हैं। यह मान्यता है कि गणेश जी की मूर्ति जब भी दक्षिण की ओर मुड़ी बनाई जाती है तो वह टूट जाती है। कहा जाता है कि यदि संयोगवश यदि आपको दक्षिणावर्ती मूर्ति मिल जाए और उसकी विधिवत उपासना की जाए तो अभीष्ट फल मिलते हैं। गणपति जी की बाईं सूंड में चंद्रमा का प्रभाव और दाई में सूर्य का माना गया है।

प्राय: गणेश जी की सीधी सूंड तीन दिशाओं से दिखती है। जब सूंड दाईं ओर घूमी होती है तो इसे पिंगला स्वर और सूर्य से प्रभावित माना गया है। ऐसी प्रतिमा का पूजन, विध्न विनाश, शत्रु पराजय, विजय प्राप्ति, उग्र तथा शक्ति प्रदर्शन आदि जैसे कार्यों के लिए फलदायी माना जाता है। जबकि बाईं ओर मुड़ी सूंड वाली मूर्ति को इड़ा नाड़ी व चंद्र प्रभावित माना गया है।

ऐसी मूर्ति की पूजा स्थाई कार्यों के लिए की जाती है। जैसे शिक्षा, धन प्राप्ति, व्यवसाय, उन्नति, संतान सुख, विवाह, सृजन कार्य, पारिवारिक खुशहाली के लिए किया जाता है। सीधी सूंड वाली मूर्ति का सुश्ज्ञाुम्रा स्वर माना जाता है और इनकी आराधना ऋद्धि- सिद्धि, कुण्डलिनी जागरण, मोक्ष, समाधि आदि के लिए सर्वोत्तम मानी गई है। संत समाज ऐसी मूर्ति की ही आराधना करता है। सिद्धि विनायक मंदिर में दाईं ओर सूंड वाली मूर्ति है। इसीलिए इस मंदिर की आस्था और आय, आज शिखर पर है।