लखीमपुर खीरी में शहीद हुए किसानों व पत्रकार की बनेगी स्मारक: दिल्ली गुरुद्वारा कमेटी

Oct 13 2021

लखीमपुर खीरी में शहीद हुए किसानों व पत्रकार की बनेगी स्मारक: दिल्ली गुरुद्वारा कमेटी

india emotions, लखीमपुर खीरी। तिकोनिया में हिंसा मारे गये किसानों और पत्रकार की स्मारक बनेगी। ये स्मारकें उस स्थान पर बनाई जायेगी, जिस स्थान पर हिंसा में किसान व पत्रकार शहीद हुए थे। मंगलवार को अरदास में शामिल हुए दिल्ली सिख गुरुद्वारा मैनेजमेंट कमेटी ने स्मारक बनवाने का ऐलान किया है। इसके पहले मेरठ और गाजीपुर बॉर्डर पर किसान स्मारक बनाने की घोषणा हो चुकी है। जिन किसानों की आनदोलन के दौरान धरना स्थल पर शहीद हुए हैं,वहां उनकी याद में स्मारक बनेगी।

दिल्ली गुरुद्वारा कमेटी अध्यक्ष मनजिंदर सिंह सिरसा ने बताया कि हम तिकुनिया में करीबन उसी जगह शहीद किसान स्मारक बनाएंगे, जहां पर चार किसानों व एक पत्रकार की शहादत हुई है। इसके लिए हमें करीब डेढ़ से दो एकड़ जमीन चाहिए। जमीन के लिए हम स्थानीय खेत के मालिकों से बातचीत करेंगे।
उनसे जमीन खरीद कर पांचों की मूर्ति लगेगी, पत्थरों पर लिखेंगे सारा वाकया। सिरसा ने बताया कि इस पूरे स्मारक पर जमीन से लेकर निर्माण तक करीब एक करोड़ रुपए खर्च होने की उम्मीद है। इसका खर्च दिल्ली सिख गुरुद्वारा मैनेजमेंट कमेटी उठाएगी। इसके लिए किसी से एक भी रुपया नहीं लिया जाएगा।

इस स्थल पर चारों किसान व एक पत्रकार का स्टैच्यू लगाया जाएगा। स्मारक पर जो पत्थर लगेंगे, उन पर यह पूरी घटना काले अक्षरों में अंकित की जाएगी। मनजिंदर सिरसा ने कहा कि जहां कत्लेआम हुआ, वहीं स्मारक बनेगा, ताकि आने वाली पीढ़ी दर पीढ़ी याद रहे कि सरकार ने कैसे जुल्म ढहाया, लेकिन किसान दबे नहीं।

वहीं राष्ट्रीय लोकदल के अध्यक्ष जयंत चौधरी ने 17 अप्रैल 2021 को ट्वीट करके कहा था कि वह किसान आंदोलन में शहीद हुए किसानों की याद में स्मारक बनाएंगे। उन्होंने बताया था कि मेरठ में पार्टी कार्यालय के लिए जो जमीन देखी गई थी, उस पर कार्यालय बनाने की बजाय स्मारक बनेगा। हालांकि इस योजना पर अभी तक कोई खास अमल नहीं हो सका है।

दिल्ली-यूपी के गाजीपुर बॉर्डर पर 6 अप्रैल 2021 को भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने अस्थायी रूप से प्रतीकात्मक शहीद स्मारक स्थापित किया था। शहीद स्मारक के लिए मेधा पाटकर गुजरात से 800 गांवों की मिट्टी और जल लेकर गाजीपुर बॉर्डर पहुंची थीं। इसके अलावा जलियावालां बाग, लालकिला समेत कई एतिहासिक स्थलों से भी मिट्टी लाई गई थी।