नहीं बोले ऐसे शब्द जो पति-पत्नी के रिश्ते में डालते हैं दरार, दूर तलक जाती है बात

Oct 15 2021

नहीं बोले ऐसे शब्द जो पति-पत्नी के रिश्ते में डालते हैं दरार, दूर तलक जाती है बात

शादीशुदा जिन्दगी में कभी-कभी ऐसा महसूस होने लगता है कि रिश्ते में हल्की सी दरार आने लगी है। अब प्यार का वो एहसास महसूस नहीं होता जो शादी होने के आठ-दस साल तक महसूस होता रहा। कभी-कभी ऐसा इसलिए भी लगने लगता है कि पति-पत्नी में नोंकझोंक कुछ ज्यादा होने लग जाती है। ऐसा अक्सर बच्चों को लेकर होता है। उस वक्त ऐसा लगता है जिसे इस रिश्ते में खटास आ गई है। कई बार नोंकझोंक में पतियों द्वारा कुछ ऐसे शब्द बोल दिए जाते हैं जो पत्नी के दिल को चीर कर रख देते हैं और इसका असर उनके रिश्ते की मिठास पर पड़ता है। नोंकझोंक के वक्त ऐसे शब्दों को बोलने से स्वयं को रोकने का प्रयास करना जो आपके रिश्ते को खराब कर दें। आइए डालते हैं एक नजर उन शब्दों पर जो नोंकझोंक वक्त अक्सर पुरुष के मुँह से निकलते हैं—
मनमानी करती हो
यह मेरा स्वयं का अनुभव है। मेरे मुँह से अक्सर पत्नी के लिए ‘अपनी मनमानी करती हो’ शब्द निकलता है। इसे सुनने के बाद उसका क्रोध सातवें आसमान पर होता है। अगर वह कुछ निर्णय लेकर कुछ करती है तो सिर्फ और सिर्फ घर व बच्चों के लिए करती है। जो उसकी नजरों में पूरी तरह से ठीक होता है। एक और बात है जो हम पुरुषों को नहीं भूलनी चाहिए। महिला अपना घर छोडक़र आती है, पति के घर को पूरे मन से स्वीकारती है, उसे संवारती है लेकिन जब उसे पति यह कहता है कि वह अपनी मनमानी करती है तो वह टूट जाती है, क्योंकि इस घर की खुशहाली के लिए उसे इस बात की सुध नहीं होती कि थोड़ा ही सही पर अपने लिए भी समय निकाले। ऐसे में जब वह यह सुनती है कि तुम अपनी मनमानी करती हो, वह पूरी तरह से टूट जाती है। प्रयास करके हमें यह शब्द अपनी पत्नी से नहीं कहने चाहिए।

करती क्या हो दिनभर
कुछ दिन पहले की बात है। मैं घर से निकल ही रहा था कि अचानक से मेरे कानों में पुरुष स्वर सुनाई दिया, जो कह रहा था मेरे जाने के बाद तुम करती क्या हो दिनभर। अभी आवाज का तीखापन खत्म भी नहीं हुआ था कि महिला स्वर सुनाई दिया, एक दिन तुम घर को संभाल कर दिखाओ तो मान जाऊं। जिस दिन मायके चली गई तो नानी याद आ जाएगी। इन संवादों को सुनने के बाद समझ गया कि पति महोदय ने पत्नी को किसी बात का ताना देते हुए यह शब्द कहे हैं। घर का काम करना कोई आसान बात नहीं है। खाना, झाड़ू, पोछा, कपड़े आदि में महिलाओं का पूरा दिन बीत जाता है। ऊपर से बच्चों की हर चीज का ख्याल भी महिलाएँ ही रखती हैं। ऐसे में जब पुरुष शाम को घर लौटता है तो कई बार बेख्याली में वह यह प्रश्न कर बैठता है कि तुम दिनभर घर पर करती क्या हो? महिलाओं को ये बात तीर सी चुभती है क्योंकि बाहर के काम की घर के काम से तुलना हो ही नहीं सकती है।
दुनिया की समझ तो है नहीं
पुरुष जब परेशान होता है और ऐसे वक्त में जब महिला उन्हें कोई सुझाव देती है या देना चाहती है तो वह यह कहकर उसे चुप करा देता है कि तुमने दुनिया में देखा क्या है या फिर दुनिया की इतनी समझ नहीं है। यह बात महिलाओं को बुरी तरह से कचोट जाती है। यह सही है कि महिलाएँ ज्यादातर समय घर में व्यतीत करती हैं इसका मतलब यह नहीं है कि उनमें दुनिया की समझ नहीं हैं। वे पुरुषों के मुकाबले ज्यादा निर्णयपरक और परिस्थितियों के अनुकूल स्वयं को ढालने में सक्षम होती हैं।
मेरी समझ से परे हैं तुम्हारे परिवार वाले
जब पति पत्नी के परिवार का सम्मान न करता हो, बार-बार उसे ये कहता हो कि उसे पत्नी के मायके के लोग समझ नहीं आते तो पत्नी के आत्मसम्मान को ठेस पहुंचती है क्योंकि पति का परिवार चाहे कैसा भी हो पत्नी उसे पूरे मन से स्वीकारती है इसलिए बदले में पत्नी को भी पति से उम्मीद होती है कि वह उसके परिवार वालों का मान रखे।
नोट—यह लेखक के अपने विचार हैं जरूरी नहीं कि आप इससे सहमत हों।