जनता महंगाई से परेशान, विपक्ष सड़कों पर न उतर मंदिरों में पक्का कर रहा वोट

Oct 15 2021

जनता महंगाई से परेशान, विपक्ष सड़कों पर न उतर मंदिरों में पक्का कर रहा वोट

india emotions, (सीएल वर्मा) लखनऊ। डीजल पेट्रोल के लगातार बढ़ते दामों से मंहगाई चरम सीमा पर पहुंच चकी है। जनता काफी परेशान हो चुकी है। विपक्षी दल भी इस मंहगाई का मुद्दा भरपूर से नहीं उठा रहा है। उत्तर प्रदेश में आगामी होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए विपक्षी दल मंगाई का मुद्दा न उठाकर मंदिरों में पूजा-अर्चना करके अपना-अपना वोट बैंक पक्का करने में लगे हुए हैं। जनता सरकार के साथ-साथ विपक्षी दलों से भी नाराज है। क्योंकि डीजल पेट्रोल के दाम चरम सीमा पर पहुंच चुके है, फिर भी विपक्ष इस मुद्दे को लेकर सड़क पर नही उतर रहा है। डीजल पेेट्रोल के बेहताशा बढ़े दामों सेे डेेेली उपयोग की वस्तुओं मेें काफी बढ़ोत्तरी हो चुकी हैैं।

पूजापाठ कराने वाले अम्बेडकर नगर निवासी पंडित शिव शंकर तिवारी बताते हैं, कि वे पक्के भाजपाई हैं। सरकार ने डीजल पेेट्रोल के बेहताशा दाम बढ़ाने से सब्जी, दाल, चीनी समेत डेली उपयोगी वस्तुओं के दाम आसमान छू रहे है। जो जजमान पूजा कराने में 5 सौ रुपये दक्षिणा देता था, अब वह पचास रुपये दे रहा है। तिवारी जी ने बताया, कि करीब तीन महीने से स्कूटी खड़ी कर दिये हैंं, क्योंकि पेट्रोल डलवाने के लिए पैसे नही जुटा पा रहा हूँ।

जौनपुर डोभी क्षेत्र के रहने वाले प्रभात सिंह रघुवंसी कहते है कि वे लखनऊ में एक निजी ट्रांसपोर्ट कम्पनी में बतौर मैनेजर की पोस्ट पर तैनात है। हमारे ट्रासपोर्ट कंपनी की बसें प्राइवेट स्कूलों में चलती हैं। बीते साल में कोरोना काल आ गया और स्कूल बंद हो गये, जिससे बसों का भी चलना बंद हो गया। पिछले साल कुछ महीने मालिक ने वेतन दिया और फिर वेतन देना बंद कर दिया। इस साल कोविड फिर आ गया। अब कुछ बसें बच्चों को लेकर स्कूल जाने लगी हैं। लेकिन वेतन पूरा नही मिल रहा है। इधर लगातार डीजल पेट्रोल के दाम बढ़ रहे हैं, जिससे मंहगाई चरम सीमा पर पहुंच गई है। अब कम वेतन में घर का खर्चा चलाना बहुत मुश्किल पड़ रहा है।

कानपुर निवासी श्रीमती नीलू मिश्रा बताती है कि, वह एक निजी नर्सिंग होम में काम करती है। पिछले साल कोविड की वजह से उनके पति की नौकरी चली गयी, तब से वे घर पर बैठे हैं। नीलू ने बताया कि उनका वेतन कम है। डीजल पेट्रोल के जबरदस्त दाम बढ़े मंहगाई और बढ़ गई। अब घर चलाना मुश्किल पड़ रहा है। पहले ही कोविड ने कमर तोड़ दी और अब मंहगाई जीने नही दे रही है। सरकार बड़े-बड़े विज्ञापन छपवा कर कह रही विकास की गंगा बह रही हैं।

लखनऊ के अलीगंज निवासी गृहिणी श्रीमती रमादेवी वर्मा कहती हैं कि सरकार ने महीने में 5-5 किलो गेंहू और चावला देकर जनता को बेवकूफ बना रही है। दूसरी तरफ डीजल पेट्रोल के दाम बढ़ा सरकार जनता से चार गुना ऐंठ रही है।

सीतापुर निवासी शुभम् मिश्रा उर्फ बड़े बताते हैं कि वे चाय का ठेला लाकर परिवार का भरणपोषण करते हैं। हमारी चाय के दाम नही बढ़े,चीनी, चायपत्ती, दूध,गैस के दाम बढ़ गये है, इससे आमदनी आधी हो गई है। पेट्रोल डीजल के बेहताशा दाम बढ़ने से जबरदस्त मंगाई आई है।

भाजपा के एक पदाधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि लगातार डीजल पेेट्रोल के दाम बढ़ने से गांव से लेकर शहर तक मंहगाई चरम सीमा तक पहुंच गई है। आगामी राज्यों में होने वाले विधानसभा के चुनावों में भाजपा को इसका प्रणाम भुगतना पड़ेगा। जनता से ज्यादा झूठ नही बोला जा सकता।

विकासनगर लखनऊ निवासी गृहिणी श्रीमती रेनू शर्मा बताती हैं पेट्रोल डीजल के दाम बढ़ने से जबरदस्त मंहगाई आ गई हैं। विपक्षी दल इस मंहगाई के मुद्दे पर आखिर सड़क पर क्यों नही उतर रहे हैं ? उत्तर प्रदेश में होने वाले आगामी विधानसभा चुनाव में जीत पक्की करने के लिए विपक्ष दल हिन्दू कार्ड खेलने में लगे हैं। मंदिरों में जाकर मत्था टेक रहे हैं। गरीब जनता की असली समस्या मंहगाई के लिए रोड पर नही उतरे रहे हैं।