यूपी में कोयले की कमी से 8 यूनिट बंद, ग्रामीण सेक्टर में बिजली कटौती बढ़ी

Oct 09 2021

यूपी में कोयले की कमी से 8 यूनिट बंद, ग्रामीण सेक्टर में बिजली कटौती बढ़ी

india emotions, लखनऊ। उत्तर प्रदेश में कोयले की कमी के कारण बिजली बनाने वाली 8 यूनिट बंद हो गई हैं। तमाम कोशिश के बाद भी अगले एक सप्ताह तक इससे राहत मिलता नजर नहीं आ रहा है। खुद पावर कॉरपोरेशन के अधिकारी मानना है,कि यूनिट बंद होने से बिजली कटौती भी बढ़ गई है। इसमें सबसे ज्यादा परेशानी ग्रामीण सेक्टर में है। बताया जा रहा है,कि यह समस्या इस लिए बढ़ी है,कि इसकी बड़ी वजह कई जगह पर कोयले की पेमेंट न होना है। उत्पादन निगम के कई पावर प्लांट हैं जिनका कोयले का पेमेंट बकाया है। कोयले की कमी को देखते हुए कोल कंपनियों ने यह तय किया है कि जिन पावर प्लांटों का पेमेंट होगा, उन्हें पहले कोयले की सप्लाई की जाएगी।

मिली जानकारी के मुताबिक़ मौजूदा समय में प्रदेश में बिजली की मांग 20,000 से 21,000 मेगावाट के बीच है। जबकि सप्लाई सिर्फ 17000 मेगावाट तक हो पा रही है। ऐसे में चार हजार मेगावाट बिजली की कमी होने लगी है। बताया जा रहा है कि इसका सबसे ज्यादा असर पूर्वांचल और मध्यांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड के ग्रामीण इलाकों में पड़ रहा है।इस कमी को पूरी करने के लिए एक्सचेंज से पावर कॉरपोरेशन बिजली खरीद रहा है। अधिकारियों का कहना है कि यह बिजली 15 से 20 रुपए यूनिट तक पड़ रहा है। हालांकि बिजली की कीमत अधिक होने के कारण पावर कॉरपोरेशन ज्यादा मात्रा में एक्सचेंज से बिजली नहीं खरीद पा रहा है।

कोयले की कमी से उप्र में 2700 मेगावाट बिजली नहीं तैयार हो रही है। मौजूदा समय 8 पावर प्लांट कोयले की कमी से और 6 दूसरे कारणों से बंद है। कोयले की कमी से जो पावर प्लांट बंद चल रहे हैं, उनसे पावर कॉरपोरेशन को 2700 मेगावाट बिजली मिलती है। इसके अलावा 6 पावर प्लांट भी दूसरे तकनीकी कारणों से बिजली उत्पादन नहीं कर पा रहे हैं। इनसे भी 1800 मेगावाट बिजली मिलती है। यानि पावर कॉर्पोरेशन को करीब 4500 मेगावाट बिजली नहीं मिल पा रही है।

वहीं राज्य विद्युत उपभोक्ता फोरम के अध्यक्ष अवधेश वर्मा ने आरोप लगाया है कि ग्रामीण सेक्टर में 7 से 8 घंटे का पावर कट लग रहा है। कुछ बड़े महानगरों को छोड़ दिया जाए तो ज्यादातर जगहों पर बिजली कटौती बड़ गई है। राज्य के उर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा का दावा है कि केंद्र सरकार और कोल इंडिया लिमिटेड के सहयोग से आपूर्ति सामान्य करने के प्रयास किए जा रहे हैं। अन्य स्रोतों से बिजली खरीद की जा रही है।