उन्नाव : सपा मुखिया अखिलेश यादव ने निषाद नेताओं की मुर्तियों का अनावरण किया

Jul 21 2021

उन्नाव : सपा मुखिया अखिलेश यादव ने निषाद नेताओं की मुर्तियों का अनावरण किया

India Emotions, उन्नाव। उत्तर प्रदेश में सभी राजनीतिक दल आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर जातियों को अपनी तरफ खींचने के हर हथकंडा अपना रहे है। ऐसे में समाजवादी पार्टी (सपा) प्रमुख अखिलेश यादव बुधवार को निषाद समाज के नेता की मूर्ति का अनावरण करने उन्नाव पहुंचे हैं। अखिलेश यादव का उन्नाव जिले में कार्यकर्ताओं ने120 छोटे-छोटे रथों से स्वागत किया जाएगा।

सपा प्रमुख ने जिले के निषाद समुदाय के बड़े नेता रहे मनोहर लाल की 85वीं जयंती पर उनकी प्रतिमा का अनावरण होगा। जिसे लेकर सपा के प्रवक्ता व एमएलसी सुनील साजन समेत तमाम नेता मौके पर पहुंचे। इस दौरान कार्यकर्ताओं ने नारे लगाते हुए सन् 2022 अखिलेश यादव की सरकार बनाने का दावा किया।

समावादी पार्टी के निर्माता व पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव के करीबी रहे मनोहर लाल, विरासत को आगे बढ़ा रहा है।परिवार मनोहर लाल साल 1993 में मुलायम सिंह यादव की सरकार में मत्स्य पालन मंत्री भी रहे थे। मनोहर लाल तब चर्चित हुए थे जब 1994 में फूलन देवी की रिहाई को लेकर अपनी ही सरकार के खिलाफ धरने पर बैठ गए थे। निषाद के अधिकारों की मांग करने लगे मनोहर लाल ने ही सबसे पहले रेती में खेती का मुद्दा उठाया था। मनोहर लाल ने निषाद-बिंद-मल्लाह-कश्यप और लोध जातियों को एकजुट करने के लिए भी जाना जाता है।

मनोहर लाल के बड़े बेटे रामकुमार कहना है कि मनोहर लाल जी ने इन जातियों के बीच रोटी-बेटी का संबंध भी स्थापित किया था। उसके आगे की राजनीति की चर्चा करें तो साल 1994 में मनोहर लाल के निधन के बाद उन्नाव में उनके बेटे दीपक कुमार ने उनकी राजनीतिक विरासत को संभाला और दीपक कुमार सपा से कई बार विधायक और सांसद भी रहे। दीपक के निधन के बाद अब मनोहर लाल की विरासत मनोहर लाल के बड़े बेटे रामकुमार और उनके भतीजे अभिनव संभाल रहे हैं।

सपा प्रवक्ता सुनील साजन ने बातचीत में कहा कि अखिलेश यादव उन्नाव में समाज के बड़े नेता मनोहर लाल के कार्यक्रम में शामिल हो रहे हैं। सपा ने हमेशा से निषाद समाज का सम्मान किया है। इस समुदाय के नेताओं को राजनीतिक स्थान भी दिया है। जबकि भाजपा सिर्फ निषाद समुदाय के साथ होने का दिखावा करती है। यूपी में निषाद, मल्लाह और कश्यप वोट बैंक करीब 4 फीसदी है। अगले साल 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले अखिलेश का यह दांव निषाद वोट बैंक की सियासत से जोड़ कर देखा जा रहा है।