भारत सबसे बड़ा ऑक्सीजन उत्पादक देश लेकिन केंद्र सरकार की लापरवाही के चलते संकट

May 29 2021

भारत सबसे बड़ा ऑक्सीजन उत्पादक देश लेकिन केंद्र सरकार की लापरवाही के चलते संकट

India Emotions, दिल्ली/लखनऊ. कांग्रेस महासचिव श्रीमती प्रियंका गाँधी ने केंद्र सरकार से अपने सवालों के अभियान “जिम्मेदार कौन” को आगे बढ़ाते हुए ऑक्सीजन संकट पर केंद्र सरकार से पूछा है कि आखिर क्यों आपने महामारी वाले साल 2020 में ऑक्सीजन का निर्यात 700प्रतिशत तक बढ़ा दिया।

श्रीमती प्रियंका गाँधी ने कहा कि देश भर के तमाम अस्पतालों में ऑक्सीजन की कमी से लोग तड़प-तड़प कर मर गए। अगर केंद्र सरकार ने पहली लहर एवं दूसरी लहर के बीच मिले समय में योजनाबद्ध ढंग से तैयारी की होती तो ऑक्सीजन संकट को टाला जा सकता था।

कांग्रेस महासचिव श्रीमती प्रियंका गाँधी ने आगे पूछा कि मोदी सरकार ने अपने ही एम्पावर्ड ग्रुप- 6 की ऑक्सीजन संकट की सलाह को दरकिनार क्यों किया? उन्होंने आगे कहा कि महामारी की मार के पहले तक ऑक्सीजन को प्राथमिक रूप से औद्योगिक उद्देश्य के लिए इस्तेमाल किया जाता था, इसलिए भारत के पास ऑक्सीजन ट्रांसपोर्ट में इस्तेमाल होने वाले विशेष रूप से बनाये गए क्रायोजेनिक टैंकरों की संख्या 1200-600 थी। कोरोना की पहली लहर एवं दूसरी लहर के बीच मोदी सरकार ने इन टैंकरों की संख्या बढ़ाने या औद्योगिक प्रयोग में आ रही ऑक्सीजन को मेडिकल सुविधाओं में प्रयोग में लाने के लिए आकस्मिक योजना की बारीकियां तैयार करने की दिशा में कोई प्रयास नहीं किया।

कांग्रेस महासचिव श्रीमती प्रियंका गाँधी ने केंद्र सरकार से पूछा है कि आपके पास एक साल था। आखिर क्यों सरकार ने कोरोना की दूसरी लहर का अंदाजा होने के बावजूद ऑक्सीजन ट्रांसपोर्ट के लिए इस्तेमाल होने वाले क्रायोजेनिक टैंकरों की संख्या बढ़ाने के लिए कोई प्रयास नहीं किया?

कांग्रेस महासचिव श्रीमती प्रियंका गाँधी ने कहा कि भारत ऑक्सीजन का सबसे बड़ा ऑक्सीजन उत्पादक देश है, लेकिन केंद्र सरकार की लापरवाही के चलते कोरोना की दूसरी लहर के समय ऑक्सीजन संकट खड़ा हुआ और लोगों की जानें गईं। केंद्र सरकार ने 150 ऑक्सीजन प्लांट चालू करने के लिए बोली लगाई थी, लेकिन उनमें से ज्यादातर प्लांट अभी भी चालू नहीं हो सके हैं।

उन्होंने कहा कि इस संकट काल में भी मोदी सरकार ने लोगों की जेब काटने में कोई कसर नहीं छोड़ी। संसद की स्वास्थ्य मामलों की स्थाई समिति ने सरकार को पहले ही सुझाया था कि केंद्र सरकार को ऑक्सीजन सिलेंडर के दाम नियंत्रित करने के प्रयास करने होंगे, लेकिन ऑक्सीजन सिलेंडर की कीमत पिछले साल 4000 रू0 थी वहीं एक साल में बढ़कर 7000 रू. हो गई। पेट्रोल डीजल के बढ़ते दामों के चलते एक ऑक्सीजन सिलेंडर रिफिल कराने की कीमत एक साल में 500 रू. से बढ़कर 2000 रू. हो गई। 

श्रीमती प्रियंका गाँधी ने कहा कि राज्यों के मुख्यमंत्री ऑक्सीजन की कमी प्रधानमन्त्री को बताते रहे। केंद्र सरकार अपनी गलती न मानकर न्यायालयों में राज्य सरकारों की ऑक्सीजन मांग का कोटा कम करने को लेकर लड़ाई लड़ने लगी। वास्तव में हमारे देश में ऑक्सीजन की कमी नहीं थी।