अयोध्या केस : सुप्रीम कोर्ट के CJI ने पूछा, मस्जिद से पहले राममंदिर का सबूत बताएं

Aug 06 2019

अयोध्या केस  : सुप्रीम कोर्ट के CJI ने पूछा, मस्जिद से पहले राममंदिर का सबूत बताएं

इंडिया इमोशंस न्यूज नई दिल्ली/अयोध्या। राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद मामले (Ram Janmabhoomi-Babri Masjid land dispute case ) में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने आज से रोजाना सुनवाई प्रारंभ कर दी है। आपको बताते जाए कि मध्यस्थता को लेकर नियुक्त की गई समिति के किसी भी निष्कर्ष पर नहीं पहुंचने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने आयोध्या विवाद में 6 अगस्त से रोज सुनवाई करने का आदेश दिया था।

अपडेट....
-निर्मोही अखाड़े के वकील ने कहा कि मुस्लिम कानून के तहत कोई भी व्यक्ति जमीन पर कब्जे की वैध अनुमति के बिना दूसरे की जमीन पर मस्जिद निर्माण नहीं कर सकता है। ऐसे में जबरन कब्जाई गई जमीन पर बनाई गई मस्जिद गैर इस्लामिक है और वहां पर अदा की गई नमाज़ कबूल नहीं की जाती है।

-चीफ जस्टिस ने कहा कि ट्रायल कोर्ट में जज ने कहा है कि मस्जिद से पहले किसी तरह के ढांचे का कोई सबूत नहीं है। इस पर निर्मोही अखाड़े के वकील ने कहा कि अगर उन्होंने इसे ढहा दिया तो इसका मतलब ये नहीं है कि वहां पर कोई निर्माण नहीं था। चीफ जस्टिस ने इसके बाद कहा कि इसी मुद्दे के लिए ट्रायल होता है, आपको हमें सबूत दिखाना ही पडेगा।

- सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने पूछा कि हमारे सामने वहां के स्ट्रक्चर पर स्थिति को साफ किया जाए। वहां पर एंट्री कहां से होती है? सीता रसोई से या फिर हनुमान द्वार से? इसके अलावा CJI ने पूछा कि निर्मोही अखाड़ा कैसे रजिस्टर किया हुआ? जस्टिस नज़ीर ने निर्मोही अखाड़े से पूछा कि आप बहस में सबसे पहले अपनी बात रख रहे हैं, आपको हमें इसकी पूरी जानकारी देनी चाहिए।

- निर्मोही अखाड़े के वकील ने सुन्नी वक्फ बोर्ड की तरफ से जो सबमिशन किया गया, उसे अदालत के सामने पढ़ा। निर्मोही अखाड़े की तरफ से इस मामले के इतिहास और बाबर शासन काल का जिक्र किया जा रहा है।

-निर्मोही अखाड़े ने कहा कि 16 दिसंबर 1949 को आखिरी बार जन्मभूमि पर बनाई गई मस्जिद में नमाज़ पढ़ी गई थी। इसके बाद 1961 में वक्फ बोर्ड ने अपना दावा दाखिल किया था।

सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या केस का लाइव प्रसारण की मांग को ठुकरा दी है।

मुख्य न्यायधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली 5 सदस्यीय संवैधानिक पीठ इस मामले की सुनवाई करना प्रारंभ कर दिया है। इस पीठ में जस्टिस एस. ए. बोबडे, जस्टिस डी. वाई. चंद्रचूड़, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस एस. ए. नजीर भी शामिल हैं। यह सुनवाई हफ्ते में तीन दिन मंगलवार, बुधवार और गुरुवार को होगी।