उन्नाव रेप केस : टक्कर मारने वाले ट्रक की नंबर प्लेट क्यों थी काली? मामले में मोड़

Aug 03 2019

उन्नाव रेप केस : टक्कर मारने वाले ट्रक की नंबर प्लेट क्यों थी काली? मामले में मोड़

इंडिया इमोशंस न्यूज नई दिल्ली। सनसनीखेज उन्नाव सडक़ दुर्घटना में एक नया मोड़ आ गया है। ट्रक के फाईनेंसर ने यह खुलासा किया है कि उसने कभी भी ट्रक के मालिक देवेंद्र किशोर पाल को वाहन जब्त करने की धमकी नहीं दी थी। उन्नाव दुष्कर्म पीडि़ता की कार को टक्कर मारने वाले ट्रक के मालिक ने बयान दिया है कि उसने वाहन की नंबर प्लेट को काला इसलिए किया था, ताकि वाहन का फाईनेंसर इसे जबरदस्ती जब्त न कर ले।

दुर्घटना की शिकार हुई कार में पीडि़ता, उसका वकील और पीडि़ता के परिवार के सदस्य सवार थे। पाल ने कहा था कि वह कर्ज की कुछ किश्तों का भुगतान नहीं कर पाया था और ट्रक के जब्त होने के डर से उसने नंबर प्लेट काली कर दी थी। उसने कहा था कि नंबर प्लेट को काला करना पीडि़ता की पूर्वनियोजित हत्या की योजना का हिस्सा नहीं था। हालांकि नए खुलासे में ट्रक के फाईनेंसर का बयान, ट्रक मालिक के शुरुआती बयान के बिल्कुल विपरीत है।

वहीं परिवार ने एफआईआर में दावा किया है कि यह दुर्घटना दुष्कर्म के आरोपी भाजपा से निष्कासित विधायक कुलदीप सिंह सेंगर द्वारा पीडि़ता की हत्या के इरादे से रची गई साजिश का नतीजा था। इस दुर्घटना में पीडि़ता के परिवार के दो सदस्य मारे गए थे। ओरिक्स फाईनेंस कंपनी के मैनेजर शशि कुमार ने कानपुर से आईएएनएस को फोन पर बताया कि उसने कभी भी वाहन मालिक देवेंद्र पाल सिंह को किश्तों के भुगतान न करने की वजह से डराया-धमकाया नहीं था।

मैनेजर ने आगे कहा, यहां तक कि 25-26 जुलाई के आसपास मैं देवेंद्र से फतेहपुर के पास एक ढाबे पर मिला भी था और उससे आग्रह किया था कि वह जल्द से जल्द किश्तों का भुगतान कर दें। हमारी मुलाकात दोस्ताना थी। हमारी कंपनी ओरिक्स सबसे बड़ी फाईनेंस कंपनियों में से एक है और इसका क्षेत्रीय कार्यालय कानपुर में है। हमारे पास ग्राहकों के हस्ताक्षरित कानूनी कागजात भी हैं और हम कभी भी किसी वाहन को जबरदस्ती जब्त नहीं करते हैं।

देवेंद्र द्वारा नंबर प्लेट को काला करने की वजह जब्ती को बताने को लेकर मैनेजर ने कहा कि उन्हें पाल द्वारा ऐसा बयान देने की वजह के बारे में कुछ नहीं पता है, लेकिन वह इतना जरूर कह सकते हैं कि कंपनी ने कभी भी सडक़ पर चल रही गाड़ी को जब्त नहीं किया है। उन्होंने आगे बताया, हर महीने देवेंद्र को 80 हजार रुपए से अधिक की किश्त का भुगतान करना होता है। हालांकि बीते कुछ महीनों से वह भुगतान नहीं कर पा रहा है।

मैं साफ कर दूं कि वह कई सालों से हमारा ग्राहक हैं। हमने अपने फाईनेंस किए कुछ वाहनों को एनओसी भी दे रखी है। फाईनेंस कंपनी द्वारा किया गया खुलासा पाल के बयान को कटघरे में लाकर खड़ा करता है। इससे दुर्घटना की वजह और भी रहस्यमय हो गई है। मामले की जांच कर रहे सीबीआई के एक अधिकारी के अनुसार, वाहन के फाईनेंस संबंधी जांच अलग-अलग तरीके से की जाएगी।

वहीं मामले की जांच में शामिल रायबरेली के एक पुलिस अधिकारी ने कहा, अगर ओरिक्स द्वारा पहले कभी लोन के किश्त का भुगतान न करने पर किसी वाहन को जब्त करने की जानकारी नहीं मिलती है तो, ऐसे में पाल का बयान और भी महत्वपूर्ण हो जाएगा। अगर ओरिक्स मैनेजमेंट द्वारा कोई दबाव नहीं डाला गया था तो उसने घटना के पहले ट्रक की नंबर प्लेट को काला क्यों किया था। यह एक स्पष्ट जवाब वाला सवाल है।