शनि की क्रूर दृष्टि से बचने के लिए शनिवार को करे ये 10 उपाय, दूर होने सभी संकट

Apr 02 2021

शनि की क्रूर दृष्टि से बचने के लिए शनिवार को करे ये 10 उपाय, दूर होने सभी संकट

ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार शनिदेव को ग्रहों में न्यायाधीश का पद प्राप्त है। वे जातक के अच्छे-बुरे कर्मो का फल शनिदेव ही उसे देते हैं। अगर भगवान शनिदेव की बुरी नजर किसी पर प़ड जाए तो उसकी जिंदगी नर्क बन जाती है।


यदि किसी पर कृपा दृष्टि बन जाए तो उसका जीवन मंगलमय हो जाता है। लेकिन अगर आप अपने जीवन में कुछ अच्छा करने की सोचते हैं और सब विपरीत हो जाता है तो चिंता मत करे क्योकिं आप अपने जीवन में आए हुए तमाम संकट कों कुछ ही दिनों में दूर कर के खुशियां पा सकते हो।

इन 10 उपायों को करने से शनिदेव होते है खुश

1. सुबह और शाम को पूजा करते समय महामृत्युंजय मंत्र ऊं नम: शिवाय इस मन्त्र के जाप से शनि के दुष्प्रभावों से मिलती मुक्ति है।


2. घर के किसी अंधेरे कोने में एक लोहे की कटोरी में सरसों का तेल भरकर उसमें तांबे का सिक्का डालकर कोने वाली जगह पर रखें।


3. अगर शनिदेव की आप के जीवन में अशुभ दशा चल रही हो तो मांस-मदिरा जैसे तामसी सेवन न करें।


4. जब भी घर में खाना बने तो उसमे दोनों समय खाने में काला नमक और काली मिर्च को उपयोग में लाए।


5. शनिवार के दिन बंदरों को भुने हुए चने खिलाएं और मीठी रोटी पर तेल लगाकर काले कुत्ते को खाने को दें इससे जीवन में खुशियां आएंगी।

6. शनिवार के दिन अपने हाथ के नाप का काला धागा लेकर उसको मांझकर माला कि तरह गले में पहनें।


7. आठ शनिवार तक यह प्रयोग करें शनि ढैया के शमन के लिए शुक्रवार की रात्रि में 8 सौ ग्राम काले तिल पानी में भिगो दें और शनिवार को प्रात: उन्हें पीसकर एवं गु़ड में मिलाकर 8 लड्डू बनाएं और किसी काले घो़डे को खिला दें। इस से जीवन में शुभ दिन की शुरूवात होती है।


8. बरगद और पीपल पे़ड के नीचे हर शनिवार सूर्योदय से पूर्व राई तेल का दीपक जलाकर शुद्ध कच्चा दूध एवं धूप अर्पित करें।


9. शनि के प्रकोप से बचने के लिए प्रत्येक शनिवार को काली गाय की सेवा करे और खाने से पहले रोटी का पहला निवाला गाय को खिलाएं और सिंदूर लेकर गाय को लगाये और पूजा करे।


10. हनुमान, भैरव और शनि चालीसा का पाठ करें और पीपल की सात परिRमा करें यदि शनि की साढ़ेसाती से ग्रस्त हैं और शनिवार को अंधेरा होने के बाद पीपल पर मीठा जल अर्पित कर सरसों के तेल का दीपक और अगरबत्ती जलायें।