फिल्मों में नेपोटिज़्म की बात बेबुनियाद, पार्टी में नहीं चलता ड्रग्स: स्मिता सिंह

Dec 31 2020

फिल्मों में नेपोटिज़्म की बात बेबुनियाद, पार्टी में नहीं चलता ड्रग्स: स्मिता सिंह

Rnjeeta Sinha. फिल्मी दुनिया में एक ओर जहां स्ट्रगल से आजिज आकर कुछ कलाकारों के जान देने, ड्रग्स में लिप्त होने की खबरें हमें पिछले दिनों सिलसिलेवार मिलीं वहीं तमाम कलाकार ऐसे भी हैं जो दशकों से छोटे पर्दे के नामचीन चेहरे बने हुए हैं, लेकिन बड़े पर्दे पर दिखने की चाहत में अपने आदर्श, अपनी लगन, अपनी मेहनत, अपने जज़्बे को अपनी एक्टिंग के पहले दिन की तरह जवां बनाये हुए हैं। इन्हीं में से एक टीवी की महशूर अदाकार स्मिता सिंह भी हैं, जिनका फिल्म इंडस्ट्री में गुजरा बीस बरसों का कॅरियर अब नये कलाकारों के लिए एक मिसाल बन चुका है।

अरे… वही स्मिता सिंह जिन्हें टीवी सीरियल भग्यविधाता की पुनपुनवाली के रुप में हम जानते-पहचानते हैं। इस सीरियल में वैम्प की मुख्य भूमिका निभाते हुए स्मिता ने दर्शकों के दिलों पर अपनी गहरी छाप छोड़ रखी है। एकता कपूर के बालाजी हाऊस के सीरियल ‘कहानी घर-घर की’ से बतौर चाइल्ड आर्टिस्ट इंडस्ट्री में कदम रखने वाली स्मिता सोनी टीवी के कुसुम (सोनाली देशमुख), जीटीवी के हिटलर दीदी (कोसी देवी), थपकी प्यार की, तेरा क्या होगा आलिया जैसे सीरियल में अपनी भूमिका के कारण काफी सराही गई हैं। कभी दो साल की उम्र में अपनी दादी की उंगलियां थामकर लखनऊ दूरदर्शन और भातखण्डे के गलियारों में चुहलबाजी करने वाली स्मिता आज वाकई में एक मुकाम पर हैं। जाहिर है उन्हें इस मुकाम तक पहुंचाने में दादी ने शुरुआती दिनों में अहम भूमिका निभायी।

बीते दिनों मुंबई से अपने घर लखनऊ पहुंची Smita Singh की 'India Emotions' से विस्तृत बातचीत हुई। प्रस्तुत है इस खास बातचीत के मुख्य अंश-

सवाल: मुंबई फिल्म इंडस्ट्री ड्रग्स के धुंए में डूबी है कितनी सच्चाई है?

स्मिता: पार्टियों में खुलेआम ड्रग्स चलने की बातें बेबुनियाद हैं। निजीतौर पर कोई क्या करता है, इससे इंडस्ट्री को फर्क नहीं पड़ता। जो अनैतिक, अमर्यादित करता है, वो भुगतता भी है।

सवाल: नये कलाकारों के शोषण के बारे में क्या कहेंगी आप?

स्मिता: ऐसा उन लोगों के साथ होता होगा जो ना-काबिल हैं और जबरदस्ती एक्टिंग का ऑफर पाना चाहते हैं, मैंने तो अपने कॅरियर में ऐसा न देखा और न ही किसी को कहता सुना।

सवाल: क्या कोरोना के चलते अब बड़े पर्दे का क्रेज वेब-सीरियल या नेटफ्लिक्स को ट्रांसफर हो जाएगा?

स्मिता: सुनहरे पर्दे का क्रेज न कभी खत्म हुआ था और न होगा। सिनेमाघरों, मल्टीप्लेक्स में जाकर फिल्में देखने का मजा ही और है, यही दौर फिर शुरु होने को है।

सवाल: फिल्म इंडस्ट्री में भाई-भतीजावाद का मसला सुशांत सिंह राजपूत की मौत के बाद काफी उछला, क्या कहेंगी?

स्मिता: सुशांत की मौत वाकई बहुत दुखद घटना रही, लेकिन इसका नेपॉटिज़्म से कोई वास्ता नहीं है। टैलेंट को कोई इग्नोर नहीं कर सकता। गोविंदा, शाहरुख खान, मिथुन चक्रवर्ती, मनोज वाजपेयी जैसे कलाकार इसका ज्वलंत उदाहरण हैं। हां, यह बात और है कि, भाई-भतीजों के मुकाबले बाहरी कलाकारों को थोड़ा स्ट्रगल ज्यादा करना पड़ता है।

सवाल: कई कलाकारों के सुसाइड कर लेने को किस तरह देखतीं हैं?

स्मिता: मैं तो बेहद आशावादी हूं। डरपोक और कमजोर लोग ऐसा करते हैं, वजहें उनकी अपनी क्रियेट की होतीं हैं। एक मुकाम पर पहुंचकर खुद का दिमाग बैंलेंस रखना ही सफलता है।

सवाल: राजनीति को किस रूप में देखतीं हैं?

स्मिता: वैसे तो राजनीति मुझे कतई नहीं भाती लेकिन, सर्जिकल स्ट्राइक के बाद मैं अपने प्रधानमंत्री मोदी जी की फैन हो गई। इधर यूपी में योगी जी जैसा कोई नहीं- शास्त्र भी और शस्त्र भी।

सवाल: राजनीति में आने का ऑफर मिले तो?

स्मिता: ऑफर मिले तो राजनीति में भी आऊंगी। फिलहाल तो बस एक बार योगी जी से मिलने की इच्छा है।

सवाल: मोहब्बत किससे है और नफरत किससे?

स्मिता: मोहब्बत है सिर्फ और सिर्फ अपने काम से और नफरत किसी से नहीं।