कोरोना काल: गिलोय की वंश बेल पर अस्तित्व का संकट

Oct 11 2020

कोरोना काल: गिलोय की वंश बेल पर अस्तित्व का संकट

India Emotions News, Lucknow. गिलोय की वंश बेल पर अस्तित्व का संकट खड़ा हो गया है। कोरोना महामारी के समय इम्यूनिटी बूस्टर के रूप में सर्वाधिक सम्मान पाने वाली अपने रोगप्रतिरोधी एवं औषधीय गुणों की वजह से तेजी से बढ़ती मांग के कारण बागों तथा वनों से चोरी छुपे काट कर शहर की मंडियों में मंहगे दामों में बेची जा रही है। जिससे

अमृत जैसे दिव्य गुणों से भरपूर अमृता अर्थात गिलोय नामक वन्य औषधि आयुर्वेद जगत में गुर्च, गुडूची, छिन्नरुहा, चक्रांगी, टिनोस्पोरा आदि दर्जनभर नामों से प्रसिद्ध होने के साथ ही अपने रोगप्रतिरोधी एवं औषधीय गुणों की वजह से तेजी से बढ़ती मांग के कारण बागों तथा वनों से चोरी छुपे काट कर शहर की मंडियों में मंहगे दामों में बेची जा रही है। जिससे गिलोय की वंश बेल पर अस्तित्व का संकट खड़ा हो गया है। वन विभाग की अनदेखी से माल क्षेत्र के वनों तथा बागों,खेतों में गिलोय की कटान चिंताजनक हो चुकी है।

बीते समय से डेंगू, मलेरिया, जुकाम, बुखार, पीलिया, कब्ज, गठिया तथा वात, पित्त एवं कफ को नियंत्रित करने के लिए ग्रामीण गिलोय को काढ़े के रूप में प्रयोग कर स्वास्थ्य लाभ प्राप्त करते आये हैं। किसानों के बागों तथा क्षेत्रीय जंगलों में गिलोय की उपस्थिति बहुतायत से पाई जाती थी। कोरोना काल मे रोगप्रतिरोधी गुणों के कारण गिलोय का अस्तित्व ही खतरे में पड़ गया है। राजधानी के सहादत गंज स्थित औषधीय मंडी में बढ़ती गिलोय की मांग तथा कीमत ने वनस्पति व्यवसाइयों का हौसला बढ़ा दिया है। सैकड़ों कारोबारी आपदा को अवसर में बदलने के लिए गिलोय का व्यापार करने पर उतर आए।

क्षेत्र के वंशीगढ़ी तथा बिशुनपुर के जंगलों और बागों में नीम ,पीपल,आम,बरगद के पेड़ों पर लिपटी इस औषधि की अवैध कटान शुरू हो गयी है। अनुमानतः प्रतिदिन न्यूनतम दस कुंतल गिलोय की बेल क्षेत्र के वनों तथा बागों से कट कर मंडी भेजी जा रही है। इसकेअतिरिक्त क्षेत्र के गांवों में अक्सर
मिलने वाली ब्राम्ही, पुनर्नवा, भृङ्गराज, शंखपुष्पी, निर्गुन्डी, द्रोणपुष्पी, मुलेठी ,मकोय,दुद्धी,भूमि आंवला आदि वनौषधियाँ कारोबारियों की भेंट चढ़ कर धीरे धीरे सिमट गईं।

जीवनदायी अनेकों औषधियां डूब चुकी हैं गुमनामी में

सरकार गिलोय को बचाने के लिए समय पर कोई कारगर कदम यदि उठाती है तोअष्टवर्ग की बला, अतिबला, रिद्धि, वृद्धि, कंकोली, क्षीरकंकोली,जीवक, ऋषभक वनस्पति की तरह आज की संजीवनी गिलोय भी दुर्लभ औषधियों में शामिल हो जाएगी।

विटामिन्स का अच्छा स्रोत है गिलोय

आयुर्वेद शास्त्र केअनुसार गिलोय नामक वनस्पति में ग्लूकोसाइड, पामेरिन, कापर, मैंगनीज, आयरन, फास्फोरस, जिंक, कैल्शियम आदि का अच्छा स्रोत पाया जाता है। इसके अतिरिक्त यह त्रिदोषनाशक, बलवर्धक तथा रसायन बल प्रदाता के रूप में ग्रन्थों में वर्णित एवं प्रशंसनीय है।