साक्षी-अजितेश तो बहाना भर है... जानिये क्या कहते हैं वरिष्ठ पत्रकार घनश्याम दुबे

Jul 18 2019

साक्षी-अजितेश तो बहाना भर है... जानिये क्या कहते हैं वरिष्ठ पत्रकार घनश्याम दुबे
वरिष्ठ पत्रकार घनश्याम दुबे

इंडिया इमोशंस सोशल मीडिया डेस्क, लखनऊ। प्रेम और विवाह, चाहे छोटी जाति का ऊंची जाति से, ऊंची जाति का छोटी जाति से हो, सालों साल से अनगिनत मामले हुए है! पर यहां सिर्फ विवाह पर ही जोर नहीं है। असली जोर है- प्रेम को किसी भी जाति के लोगों के विवाह से ज्यादा तरजीह मिलना। प्रेम को विवाह से ऊंचा स्थान मिलना ही चाहिए। साछी-अजितेश तो एक बहाना भर है, बात को रखने के लिए!...इसे कहीं भी, किसी से भी जोड़ा जा सकता है। यह सिर्फ एक इशारा भर है...

पिछले दिनों बीजेपी के बरेली विधायक राजेश मिश्र की बेटी साक्षी मिश्र की एक दलित युवक अजितेश के साथ लव मैरिज चर्चा का विषय बनी। जान से मारने की धमकी, पुलिस-थाना, मारपीट, राजनीति और हाईकोर्ट...यहां तक की नौबत हो चुकी है। आगे क्या होना है फिलवक्त कहा नहीं जा सकता। बहाहाल, यह मामला मीडिया की खासी सुर्खी बटोरने में कामयाब रहा। इलेक्ट्रॉनिक मीडिया को तो मानो 'गोल्डन-चांस' मिल गया हो टीआरपी बटोरने का। सोशल मीडिया पर भी दिलचस्प टिप्पणियां पढऩे को मिलीं।

इस प्रसंग पर यूपी की राजधानी लखनऊ के वरिष्ठ पत्रकार घनश्याम दुबे की सोशल मीडिया पर लिखी एक पोस्ट वाकई ध्यान आकर्षित करती है। मालूम हो कि घनश्याम दुबे नवभारत टाइम्स और स्वतंत्र भारत में महत्वपूर्ण पदों पर रह चुके हैं, वर्तमान में स्वतंत्र लेखन कर रहे हैं। उनकी बेबाक टिप्पणियां अकसर चर्चा में रहतीं हैं।

आईये पढ़ते हैं उनकी लिखी पोस्ट-

''शादी तो शांतनु ने मल्लाह की बेटी से की थी और भीष्म को "भीष्म प्रतिज्ञा" करनी पड़ी थी!

अंतर्जातीय विवाह की तो लम्बी फेहरिश्त है! इसमे आजादी के बाद से ले कर पोस्ट लिखने तक खास कर राजनेताओं के बेटों-बेटियों ने भी बहुत बहुत किया है! इसमे भाजपा-कोंग्रेस या अन्य दलों के 3 दर्जन बड़े से बड़े उदाहरण हैं!

दरअसल सारा मामला पहले प्रेम और फिर शादी तक पहुंचता है! या तो प्रेम कहाँ-कब-किससे करना है, इस पर पाबन्दी लगा दो !

पर प्रेम पर पाबन्दी एक घनघोर पागलपन ही साबित होगा! अतीत मे यह व्यापक पैमाने पर हो चुका है!
प्रेम हमेशा जीतता है, बस "ताकत" उसे हरा देती है!

यह पागलपन मनुष्य की सभ्य होती जाति के लिए एक कलंक से ज्यादा नहीं है! प्रेम एक सहज जीवनधारा है नदी की तरह। उसे भागते-थपेड़े खाते हुए सागर से मिलना ही है! यही उसकी शास्वत नियति है! इसे रोकना एक बड़ी से बड़ी नदी की धारा को रोक कर "बांध" बना देने जैसा ही है!

प्रेम उससे उपजे विवाह को रोकोगे तो- जीवन के हीरे से भी ज्यादा कीमती बात की हत्या करोगे ..!!

जीवन को बहने दो भाइ ..!! बहुत सी अड़चने आजादी के पहले और बाद मे भी खड़ी हो गयीं हैं, पहले उनसे निपट सको तो निपटो! बेचारे प्रेम और विवाह को तो बख्स दो! कहते हैं डायन भी एक "घर" को छोड़ देती है!


कम से कम तुम जो भी हो- इस मामले को अपने दबाव-नियंत्रण से मुक्त करो। सुंदर और सहज ढंग से जीने वाले समाज के लिए यह बहुत जरूरी है! बस थोड़ी सी किरपा करिये महाराजों ..!!''


क्या है साक्षी-अजितेश प्रकरण
साक्षी ब्राहमण परिवार वो भी बीजेपी के एक विधायक की बेटी हैं और अजितेश दलित फेमली से। इसीलिए इस मामले ने तूल पकड़ा और गरमा तक गया जबकि, साक्षी ने एक वीडियो जारी कर दोनों को पिता से जान का खतरा बताया। मामला कोर्ट पहूुंचा और दोनों को एक साथ पति पत्नी के रुप में रहने की इजाजत मिली। साक्षी मिश्रा पति अजितेश की सुरक्षा की मांग को लेकर 5 जुलाई को याचिका दायर की थी। इस पर सुनवाई के लिए 15 जुलाई की तारीख तय की गई थी।

याचिका में साक्षी-अजितेश ने सुरक्षा की मांग के लिए दलील दी थी कि उनकी शादी से साक्षी के पिता नाखुश हैं, क्योंकि साक्षी एक ब्राह्मण है, जबकि अजितेश दलित है।साक्षी व अजितेश ने चार जुलाई को प्रयागराज के एक मंदिर में शादी की थी। शादी के बाद साक्षी ने दो वीडियो जारी कर अपनी व पति की जान को खतरा बताया था।