सर्दी में तिल- गुड़ के पकवान सेहत के लिए फायदेमंद, जानें- इन व्यंजनों का वैज्ञानिक महत्व

Jan 16 2020

सर्दी में तिल- गुड़ के पकवान सेहत के लिए फायदेमंद, जानें- इन व्यंजनों का वैज्ञानिक महत्व

भारत में हर त्योहार का सांस्कृतिक व सामाजिक महत्व है। मकर संक्रांति भी इनमें से एक है। इस मौके पर खाए जाने वाले व्यंजनों का भी वैज्ञानिक महत्व होता है। स्वादिष्ट व्यंजनों के बिना त्योहारों का मजा अधूरा रहता है। मकर संक्रांति में गंगा में स्नान करने व तिल-गुड़ के पकवान खाने की परंपरा पूरे देश में है इस दिन तिल-गुड़ खाया जाता है। खास तौर से तिल-गुड़ के पकवान बनाने, खाने और दान देने की प्रथा पौराणिक काल से चली आ रही है। इस दिन सूर्य धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करता है।

स्कूल ऑफ मैनेजमेंट साइंसेज के महानिदेशक व वैदिक विज्ञान केन्द्र के प्रभारी प्रो. भरत राज सिंह का कहना है कि मकर संक्रांति पर तिल-गुड़ का सेवन करने के पीछे एक वैज्ञानिक आधार है। जब सर्दी के मौसम में शरीर को गर्मी की आवश्यकता होती है, तब तिल-गुड़ के व्यंजन गर्मी पैदा करने का काम करते हैं। तिल में तेल की प्रचुरता रहती है और इसमें प्रोटीन, कैल्शियम, बी कॉम्प्लेक्स और कार्बोहाइट्रेड पाए जाते हैं। तिल में सेसमीन एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं जो कई बीमारियों के इलाज में मदद करते हैं। इसे जब गुड़ में मिलाकर खाते हैं तो इसका ज्यादा फायदा मिलता है। गुड़ की तासीर भी गर्म होती है। तिल व गुड़ को मिलाकर जो व्यंजन बनाए जाते हैं, वह सर्दी के मौसम में हमारे शरीर में आवश्यक गर्मी पहुंचाते हैं। यही कारण है कि मकर संक्रांति पर तिल व गुड़ के व्यंजन प्रमुखता से खाए जाते हैं।

तिल और अध्यात्म का संबंध
जब हम इसे हमारे अध्यात्म से जोड़कर देखते है तो तिल का प्रयोग धार्मिक अनुष्ठानों में किया जाता है। यह शनि का द्रव्य है। मकर संक्रांति पर सूर्य एक माह शनि की राशि मकर में रहते हैं। शनि न्याय और पूर्व जन्म के पापों का प्रायश्चित करवाते हैं। तिल के दान का यही महत्व है कि पूर्व जन्म के पापों और ऋण का तिल दान शमन करता है। राहु और केतु भी शनि के शिष्य हैं। अत: राहू और केतु की पीड़ा भी तिल के दान से समाप्त होती है।

एंटीऑक्सीडेंट का काम करता है तिल
तिल ब्लड प्रेशर और पेट की समस्याओं को काबू में रखता है। ठंड के मौसम में पेट के रोग और एसिडिटी की समस्या अक्सर होती है। तिल एक प्रकार का एंटीऑक्सीडेंट है और गुड़ गैस के लिए बहुत लाभकारी चीज है। तिल का लड्डू उदर विकार के साथ-साथ रक्त की भी सफाई करता है और ब्लडप्रेशर को नियंत्रित करता है। प्रत्येक दिन सुबह तिल का सेवन करना चाहिए और रात में भोजन के बाद गुनगुने पानी के साथ तिल के लड्डू खाने से पेट की समस्या का स्थायी समाधान संभव है।

स्नान व दान का महत्व
आध्यात्मिक व स्वास्थ्य के नजरिये से मकर संक्रांति के दिन सुबह-सुबह पवित्र नदी में स्नान करना चाहिए। पवित्र नदी में स्नान न कर पाएं तो घर में तिल के जल से स्नान कर सकते हैं। स्नान के बाद आराध्य देव की प्रार्थना व तिल का दान करना चाहिए। सुबह-सुबह धूप लेने से शरीर में ऊर्जा का संचार होगा। साथ ही तिल के लड्डू और खिचड़ी का सेवन करना चाहिए। आध्यात्मिक दृष्टिकोण से इस दिन गर्म कपड़े, चावल, दूध-दही और खिचड़ी का दान शुभ माना जाता है।