महाराष्ट्र : भाजपा-शिवसेना गठबंधन की सरकार बनना तय, लेकिन वोट शेयर 5% घटा और 25 सीटें घटीं

Oct 24 2019

महाराष्ट्र : भाजपा-शिवसेना गठबंधन की सरकार बनना तय, लेकिन वोट शेयर 5% घटा और 25 सीटें घटीं

इंडिया इमोशंस न्यूज मुंबई. महाराष्ट्र में भाजपा-शिवसेना गठबंधन सरकार बना रहा है। गठबंधन को 160 सीटें िमल रही हैं। हालांकि, सत्ता में गठबंधन की वापसी भले ही हो रही है, लेकिन इस बार उसका वोट शेयर और सीटें दोनों ही 2014 के चुनावों के मुकाबले घट गया है। 2014 में गठबंधन के पास 185 सीटें थीं, इस बार गठबंधन 160 सीटों तक सिमट गया। 2014 विधानसभा चुनाव में गठबंधन को 47.6% वोट मिले थे। इस बार वोट शेयर 42% रह गया यानी 5% कम।

भाजपा 65 सीटें जीत चुकी है और 38 पर आगे चल रही है। शिवसेना 45 सीटें जीत चुकी है और 12 पर आगे चल रही है। वहीं, राकांपा 41 सीटें जीत चुकी है और 12 पर बढ़त बनाए हुए है। कांग्रेस 29 सीटें जीत चुकी है और 17 पर आगे है। 2014 के विधानसभा चुनाव में भाजपा को 122 और शिवसेना को 63 सीटें मिली थीं।

शाह ने कहा- जनता ने भाजपा पर मुहर लगाई
दिल्ली मुख्यालय में पार्टी कार्यकर्ताओं के बीच भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने कहा- हरियाणा और महाराष्ट्र में कभी हम मुख्यमंत्री नहीं बना पाए थे। 2014 में देश की जनता ने परिवर्तन किया। मोदीजी के नेतृत्व में पूर्ण बहुमत देकर चुनाव जिताया। दोनों जगह भाजपा की सरकार बनी। मोदी सरकार की स्पीड और सटीकता देखकर जनता ने भाजपा पर मुहर लगाई।

फडणवीस नाइक के 47 साल पुराने रिकॉर्ड की बराबरी कर सकते हैं

नतीजे भाजपा-शिवसेना के पक्ष में रहे तो देवेंद्र फडणवीस दोबारा मुख्यमंत्री बन सकते हैं। ऐसा होता है तो वे कांग्रेस के वसंत राव नाइक के 47 साल पुराने रिकॉर्ड की बराबरी कर लेंगे। महाराष्ट्र में सिर्फ नाइक ही ऐसे मुख्यमंत्री रहे, जिन्होंने 5 साल का कार्यकाल पूरा करने के बाद सत्ता में वापसी की। अगर बात चुनाव प्रचार की करें तो भाजपा-शिवसेना की रैलियों का आंकड़ा 400 के पार है। वहीं, कांग्रेस-राकांपा ने इसके मुकाबले करीब आधी ही रैलियां कीं।

1967 के चुनाव में कांग्रेस की जीत के बाद वसंत राव नाइक मुख्यमंत्री बने और कार्यकाल पूरा किया। 1972 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस दोबारा सत्ता में आई और वसंत राव नाइक मुख्यमंत्री बने। हालांकि, नाइक पहली बार 1963 में मुख्यमंत्री बने थे, लेकिन उनका यह कार्यकाल सिर्फ चार साल का था। 1962 के चुनाव के बाद एक साल मरोटराव कन्नमवार ने यह पद संभाला था।